चंडीगढ़
6 अप्रैल 2019
दिव्या आज़ाद
एक तरफ जहां पंजाब में चुनाव आचार सहिंता लागू होने के बाद विकास कार्य बंद हो चुके हैं वहीं मानसा में चुनाव आचार सहिंता का खुलेआम उलंघन करते हुए पार्कों का निर्माण किया जा रहा है। यह सब मानसा नगर परिषद के अधिकारियों, परिषद प्रधान और जिला निर्वाचन अधिकारी के इशारे पर हो रहा है।
शनिवार को चंडीगढ़ में मानसा नगर परिषद के पार्षद अनिल कुमार जोनी, प्रेम सागर भोला, मनजीत सिंह मीता, मुकंद सिंह, बिंदर सिंह, बखशीश सिंह, गुरमेल सिंह (सभी पार्षद), मानसा नगर परिषद के पूर्व प्रधान बलविंदर सिंह काका ने बताया कि मानसा में बीती 9 मार्च को परिषद द्वारा करोड़ों की लागत से बनने वाले एक पार्क का प्रस्ताव नंबर 281 दिनांक 14-12-2018 को नगर परिषद द्वारा पारित किया गया था। परंतु संबंधित अधिकारियों ने प्रस्ताव नंबर 281 के तहत आने वाले कार्यों के लिए निदेशक की मंजूरी के बगैर टैंडर 21-01-2019 को जारी कर दिया गया, जोकि 14 फरवरी 2019 को खोले गए। जबकि यह टैंडर 17 जनवरी 2019 को पहले ही जारी किए गए थे जोकि बहुत ही कम रेट होने के कारण लंबित कर रखे हैं।
उपरोक्त टैंडर के लिए नौ मार्च 2019 को पहले से बने हुए पार्क के लिए अवार्ड ऑफ कांट्रेक्ट (एओसी) जारी कर दिया गया। 10 मार्च को चुनाव आचार सहिंता लागू हो गई। इसके साथ ही संबंधित ठेकेदार ने काम शुरू कर दिया। अनिल जोनी व अन्य पार्षदों ने बताया कि उन्होंने इस बारे में भारतीय चुनाव आयोग को शिकायत कर दी। जिसने मानसा की जिला निर्वाचन अधिकारी से रिपार्ट तलब की। निर्वाचन अधिकारी ने आचार सहिंता का उलंघन होने से इनकार कर दिया। अनिल जॉनी ने बताया कि मानसा नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी, एएमई व जेई ने आपसी मिलीभगत करके गलत रिपोर्ट दे डाली। क्योंकि एओसी जारी होने के एक ही दिन बाद कोई भी कंपनी काम शुरू नहीं कर सकती।
इसके बाद अनिल जोनी ने फिर से इसके विरुद्ध आयोग में शिकायत कर दी। जिसके जवाब में अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने नौ मार्च को नहीं बल्कि 20 फरवरी को ही वर्क ऑर्डर जारी कर दिया था। अधिकारियों ने कहा कि 9 मार्च को अवार्ड ऑफ कांट्रेक्ट नहीं बल्कि अनैलसिज ऑफ कांट्रेक्ट (एओसी) जारी किया गया था। अनिल जोनी के अनुसार अगर 20 फरवरी को आधार बनाया जाए तो यह पता लगता है कि इस पार्क निर्माण के टेंडर बाद में जारी हुई और निर्माण कार्य पहले शुरू हो गया। उन्होंने चुनाव आयोग से परिषद अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की माग करते हुए फिर से एक शिकायत दर्ज करवाई है।
अधिकारियों ने अपने चहेतों के लिये बदल दिया एओसी का मतलब। अनिल जोनी ने बताया कि मानसा नगर परिषद अधिकारियों व जिला उपायुक्त कार्यलय की मिलीभगत से एओसी का मायने ही बदल गए है। उन्होंने बताया कि जब अधिकारियों ने अपनी खाल को बचाने के लिए कहा कि उन्होंने 9 मार्च को अवार्ड ऑफ कांट्रेक्ट नहीं बल्कि अनैलसिज ऑफ कांट्रेक्ट (एओसी) जारी किया था तो उन्होंने पंजाब सरकार का आईटी विंग संभाल रही एजेंसी एनआईसी से एओसी का मतलब पूछा जिसके लिखित जवाब के उन्होंने एओसी का मतलब अवार्ड ऑफ कांट्रेक्ट बताया। जिससे साफ होता है अधिकारी जानबूझकर चुनाव आचार सहिंता का उलंघन करते हुए अपने चहेतों को बचा रहे हैं।