चण्डीगढ़

19 अप्रैल 2020

दिव्या आज़ाद

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) के सौजन्य से 19 अप्रैल को आधुनिक हिंदी साहित्य के छायावादी महाकवि, सशक्त कथाकार, ख्याति प्राप्त पत्रकार एवं स्वतन्त्रता सेनानी पद्मविभूषण पण्डित माखनलाल चतुर्वेदी जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष आनलाईन शब्द-सुमन समारोह एवं कवि सम्मेलन का आयोजन सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा. सुशील ‘हसरत’ नरेलवी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
पण्डित माखनलाल चतुर्वेदी जी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए वीरेन्द्र शर्मा ‘वीर’ ने कहा कि ‘‘04 अप्रैल, 1889 को गाँव बाबई, जिला होशंगाबाद, मध्यप्रदेश में जन्में चतुर्वेदी जी न केवल आधुनिक हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध छायावादी महाकवि, कथाकार और पत्रकार रहें हैं बल्कि वे एक महान् स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उनकी रचनाएँ छायावाद के साथ-साथ देशप्रेम और देशभक्ति की भावना से भी परिपूर्ण होती थीं।उन्होंने साहित्य और पत्रकारिता से जुड़े रहने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का पद भी ठुकरा दिया था।’’

तत्पश्चात सुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने माखनलाल चतुर्वेदी जी की कविता ‘प्यारे भारत देश, गगन-गगन तेरा यश फहरा, पवन-पवन तेरा बल गहरा’ सुनाईं तो कवयित्री नेहा अरोरा ने चतुर्वेदी जी द्वारा रचित कविता ’दीप से दीप जले सुलग-सुलग री जोत, दीप से दीप मिलें, कर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें’; कवि कृष्णकान्त ने चतुर्वेदी जी की कविता ‘कै़दी और कोकिला, ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में’ एवं प्रोफेसर सौभाग्य वर्द्धन, निदेशक, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र ने माखनलाल चतुर्वेदी जी द्वारा रचित कविता ‘पुष्प की अभिलाषा, मुझे तोड़ लेना माली! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक’ सुनाकर समां बाँधा एवं खूब तालियाँ बटोरीं।

तदुपरान्त विशेष आॅनलाईन कवि सम्मेलन में, कवयित्री उर्मिला कौशिक ‘सख़ी’ ने अपनी कविता ‘जिसे आदत है रोने की, उसे भला कौन चुप करायेगा’ तो हिमाचल से कवि राकेश बहल ने ग़ज़ल ‘इस क़दर ना रहो तुम मेरे शह्र में’ एवं हास्य कविता ‘रोज़गार और शादी’; कवि तेजबीर ‘जेनुअन’ ने हरियाणवी हास्य-रचना ‘‘आज़ादी-आज़ादी, यू कैसी सै आज़ादी, करे मेल, मेल तै शादी, प्रकृति की ईंट तै ईंट बजा दी; हिमाचल से कवि वीरेन्द्र शर्मा ‘वीर’ ने कविताएं ‘वो जो कविथा वो लकड़हारा भी था’ एवं ‘मैं त्रिगर्त हूँ’; शायर राजन ‘सुदामा’ ने ग़ज़ल ‘‘इस मर्ज की बस एक दवा दीद है जानां’ तथा हास्य कवि दीपक खेतरपाल ने कविता ‘‘सुबह-सुबह जब आप सैर कीजिए, कृपया कुत्ते को अपने साथ ले लीजिए’’, सुनाकर समां बाँघा और श्रोताओ को सार्थक सन्देश देते हुए उनका ख़ूब मनोरंजन भी किया।

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