साप्ताहिक संगीतमय विश्वकर्मा महापुराण कथा का आयोजन

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चंडीगढ़

11 जुलाई 2022

दिव्या आज़ाद

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर रामदरबार  स्थित श्री विश्वकर्मा मंदिर में में चल रही साप्ताहिक संगीतमय श्री विश्वकर्मा महापुराण कथा में कथा व्यास श्री विश्वकर्मा दास दर्शन धीमान ने भगवान विश्वकर्मा जी के अवतरण का प्रसंग सुनाया और एक बढक़र एक भजन गाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। 


इस अवसर पर गुगामाड़ी मंदिर सेक्टर 36 की सह-संचालिका व विश्वकर्मा महिला मंडल की महामंडलेश्वर माता सुरिंद्रा देवी ने शिरकत की जिन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रेम से रहने और आपसी भाई चारे को बढ़ावा देने की बात पर जोर दिया। इस अवसर पर उन्होंने में जय जय विश्वकर्मा नमो नम:.., तेरा मंदिर बड़ा कमान.., विश्वकर्मा का दरबार लगा.., जैसे सुंदर भजनों को गाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान उनके साथ श्री विश्वकर्मा मंदिर सुधार सभा, रामदरबार के प्रधान रामजी लाल व अन्य सदस्य भी मौजूद थे।
कथा व्यास श्री विश्वकर्मा दास दर्शन धीमान ने अवतरण कथा का प्रसंग सुनाते हुए श्रद्धालुओं को बताया कि जब  देवासुर संग्राम में राजा पृथु की सहायता से देवों ने असुरों को हराकर संग्राम जीता,  तो इंद्रलोक की शोभा को देख कर पृथु ने  इंद्र से पूछा की ये सुदंर लोक की रचना किसने की है, देवराज इंद्र ने कहा यह इंद्रलोक के रचनाकार शिल्पेशवर भगवान विश्वकर्मा जी हैं तब राजा पृथु ने भी पृथ्वी को स्वर्ग से सुंदर बनाने के लिये एक बड़ा मडंप तैयार कर शिल्पेश्वर भगवान विश्वकर्मा जी का पूजन कर आह्वान किया, सभी पृथ्वीवासियों की पुकार सुन विश्व रचयिता प्रभु अपने पांच पुत्र मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी व देवग्य जी के साथ प्रकट हुए ओर शिल्पकला कला की शिक्षा देकर  इस पृथ्वी  को स्वर्ग जैसा सुदंर बनाने के लिये शिल्पम जगत जीवनम का संदेश दिया अर्थात इस संसार का आधार शिल्पकला है इस जग में  हमारी आखें जो भी देखती हैं सब विश्वकर्मा जी की दि हुई शिल्पकृपा हैं।
इस अवसर पर भगवान विश्वकर्मा व उनके पांचों पुत्रों की सुंदर झांकी श्रद्धालुओं के समक्ष प्रस्तुत की गई जिसे देख सभी भगवान श्री विश्वकर्मा जी के जयघोष लगाने लगे और उनसे जीवन को सरल बनाने की कामना करने लगे। इतना ही नही इस अवसर पर उन्होंने सुंदर भजनों में ओम् हरे विश्वकर्मा प्यारा, कोटि कोटि नमन हमारा.., हे विश्वकर्मा जय हो तुम्हारी, आदि नारायण जय हो तुम्हारी  जैसे भजन गाकर श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। कथा के उपरांत भव्य आरती की गई।

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