“सन्देश फॉरवर्ड से करें परहेज़”

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साइंस ओर टेक्नॉलजी की अदभुत सफलता के चलते लोगो की जीवनशैली में कमाल का अन्तर देखने को मिला है । जीवन की गती जो पहले धीमी रफ्तार से चलती थी अब उसमें पंख लग चुके हैं और जो काम कई दिनों या महीनों में होता था अब घण्टों ओर दिनों में हो रहा है। इसमें कोई भी सन्देह नहीं की शिक्षा के विस्तार नें समाज के ढांचे को बदल के रख दिया है, लोगों की सोच में भी बदलाव आया है और नकारात्मक सोच को छोड़कर सकारात्मक सोच का संचार देखने को मिलता है जो अपने आप में समाज की उन्नती की तरफ इशारा करता है। कागज़ी युग को पीछे छोड़ अब डिजिटल ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया है और जो काम पहले कई कई दिनों में होते थे अब मिंटों/घण्टों में होने लगे हैं और सबसे बड़ी बात कुछ काम तो आप घर बैठे बैठे आने कम्प्यूटर या मोबाइल फ़ोन के द्वारा ही कर लेते है , कहीं जाने की ज़रूरत नहीं ओर सारी की सारी इन्फॉर्मेशन आपको उपलब्ध यानी की  आम और गुठलियों के दाम।
कहते हैं ना हर सिक्के के दो पहलू होते हैं यानी की हर वस्तु के फायदे ओर नुकसान होते हैं ठीक वैसे ही डिजिटल होने के फायदों के साथ साथ इसके बहुत नुकसान भी हैं। टी वी , कम्प्यूटर ओर मोबाइल नें जहां काम करने की रफ्तार बढ़ा दी है वहां दूसरी ओर लोगों को आलसी भी बना दिया है और लोग मानसिक और शारीरिक रोगों से ग्रहस्त होना शुरू हो गए हैं। लोगों के अंदर टी वी चैनलों के माध्यम से दिखाए जाने वाले सीरियलों/खबरों का अधिक प्रभाव पड़ता है और लोग हर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम ओर समाचारों पर अंधविश्वास के लेते हैं, बिना सत्य जाने उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगते हैं और अपना नुकसान करवा लेते हैं। बाकी रही सही कसर समाचार पत्र/ मोबाइल फोन के व्हाट्सएप ओर फेसबुक पर लोगों द्वारा भेजी हुई खबरों के आदान प्रदान द्वारा पूरी हो जाती है। यही वजह है की गलत समाचार/अफवाहें हम सब की लापरवही के  कारण मिनटों में समाज के अंदर जंदल की आग की तरहफैल जाती है जो देखते देखते कई दुर्घटनाओं को जन्म दे डालती हैं।
व्हाट्सएप की निरंतर बढ़ती लोकप्रियता किसीसे छुपी नहीं है और आज के युग में हर घर में किसी न किसी के पास मोबाईल फोन का होना आम सी बात हो गयी है और जहां मोबाइल फोन होगा  वहां व्हाट्सएप का इसतेमाल भी होगा यानी की जिस प्रकार सब्ज़ी में स्वाद के लिए नमक का होना अनिवार्य है उसी प्रकार मोबाईल के इस्तेमाल करने वालों के लिए भी व्हाट्सऐप के इस्तेमाल  ने अपनी जगह सुनिश्चित कर रखी है और अधिकतर उपभोगता इसके आदी हो चुके हैं।  बच्चों से लेकर बूढों तक, मालिक से लेकर नौकर तक, टीचर, विद्यार्थी,, डॉक्टर, इंजीनियर, हर व्यवसाय के लोग, काम वाली बाई, पूजास्थलों के पुजारी, खिलाड़ियों ओर यहां तक की भिखारियों के हाथों में भी मोबाइल फोन देखने की झलक मिल जाती है। पार्कों में सुबह शाम सैर करते समय लोग अपने मोबाईल फोन पर व्हाट्सएप/फेसबुक का इस्तेमाल करते अक्सर नज़र जाते हैं और हर कोई मोबाइल को इस तरह से सम्भाल कर रखता है जैसे मां अपने नवजात शिशु को।
डिजिटल होने का यह मतलब नहीं की आप अपने मोबाइल का अनुचित उपयोग करें। टी वी चेनलों पर दिखाई गई हर खबर को सत्य समझ लें। व्हाट्सएप ओर फेसबुक पर आपके मित्रो, रिश्तेदारों या सोशल मीडिया द्वरा भेजी/प्रकाशित हर खबर को बिना परखे , बिना सोचे समझे आप अन्य लोगों को फारवर्ड करें। भेजी हुई सभी खबरें या वीडियो सच्ची नहीं होती लेकिन हम लोग ही इन खबरों को  बिना सोचे समझें जब आगे फारवर्ड करने का काम करते हैं तो गलत खबरों को फैलाने में हम भी अनजाने में पाप के भागी बन जाते हैं और उन मोबाइल कंपनियों/चैनलों को फायदा पहुंचाते हैं जिनका केवल मकसद ही अपनी टी आर पी बढ़ाने का होता है। लड़ाई झगड़ों के वीडियो या भाषणों को जब आप अपने व्हाट्सएप पर औरों के द्वारा भेजा पाते हैं तो जल्दबाजी में, बिना वीडियो की सत्यता को परखे ( ज़रूरी है की यह वीडियो किस ने बनाई किस स्थान की है कब बनी और इसकी किसने सत्य होने की ज़िम्मेदारी ली है ) आगे किसी को भी फारवर्ड न करे। ऐसा करके हम सभी समाज में अफवाहों को फैलने पर अंकुश लगा सकते हैं ।
 प्रातःकाल के समय व्हाट्सएप पर आमतौर पर लोग अपने परिचितों को शुभ प्रभाग, गुड मॉर्निंग के सन्देश भेज कर उनके प्रति  अपना स्नेह व्यक्त करते हैं जो हर एक को अच्छा लगता है। लेकिन यह सब सन्देश भेजते वक्त हम में से अधिकतर लोग अपने आलसीपन होने का भी प्रमाण भो देते हैं क्योंकि जो सन्देश हम अपने परिचितों को भेजते हैं उनमें से अधिकतर सन्देश  लोगों द्वारा हमारे पास आये हुए सन्देश ही होते हैं, जो हमें अच्छे लगते हैं और हम उनको केवल आगे फारवर्ड करने का काम करते हैं। लोगों द्वारा भेजे गुड मॉर्निंग संदेशों को आगे फारवर्ड कर के हम अपने परिचितों के प्रति कैसा स्नेह/ आदर व्यक्त करते हैं, बस यह एक् समझने की बात है ? अरे भाई हम कितने भी व्यस्त क्यों ना हों हम अपनों के लिए अपने मोबाइल फोन के व्हाट्सएप पर अधिक नहीं तो कम से कम दो शब्द (गुड मॉर्निंग/शुभ प्रभात आदि आदि) के टाइप कर ही सकते हैं। हम अपने व्यक्तिगत तौर पर बनाये वीडियो, लेख, फोटो या अन्य सन्देश भी अपने परिचितों को व्हाट्सएप पर भेजने का काम कर अपने बारे में बता सकते हैं । हमारे द्वारा दो शब्दों का लिखा सन्देश फॉरवर्ड किये संदेशों से कहीं अधिक मूल्यवान है और अपने पन का एहसास दिलाता है। इसलिए चलो आज से औरों द्वारा गुड मॉर्निंग जैसे संदेशों को अपने परिचितों को फारवर्ड करने की बजाय उनके आदर सत्कार और स्नेह व्यक्त करने के लिए उनके प्रति दो शब्द खुद लिखने का प्रयास करें।
बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़

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