चंडीगढ़
6 अक्टूबर 2017
दिव्या आज़ाद
कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं  और कुंवारी  कन्याओं  के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महात्म्य है।
आधुनिक युग में चांद से जुड़ा यह पौराणिक  पर्व  महिला दिवस से कम नहीं है जिसे पति व मंगेतर अपनी अपनी आस्थानुसार मनाते हैं।
क्या है विशेष  है इस साल के करवा चौथ में ? 
ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू ने बताया कि इस वर्ष ,यह व्रत विशेष रुप से फलदायी होगा क्योंकि प्रेम का कारक ग्रह शुक, ऊर्जाकारक ग्रह मंगल सर्वाधिक शक्त्शिाली ग्रह सूर्य की राशि में ही, रविवार के दिन विराजमान होंगे जो ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है। यही नहीं ज्योतिष शास़्त्र के अनुसार भी शुक्र  प्रेम का परिचायक है। इस दिन शुक्र ग्रह ,मंगल के साथ होने से  जिससे प्रेम संबंधों  संबंधों में उष्णता रहेगी। नए संबंध बनेंगे, पुराने पुनर्जीवित होंगे तथा कोर्ट में चल रहे बिगड़े संबंधों में सुधार होगा। 
 
 
8 अक्तूबर को करवा चौथ पर पूजा , कथा तथा  चंद्रोदय का शुभ  समय
ऽ रविवार वार    की सायं 4 बजकर 58 मिनट तक तृतीया तिथि रहेगी और इसके बाद से चतुर्थी तिथि आरंभ होकर सोमवार की दोपहर   02 बजकर 16 मिनट  तक रहेगी । 
ऽ कथा एवं पूजा का समय-17.55 से 19.10 तक
चंद्र दर्शन  – 20.15
व्रत खोलने का मुहूर्त रात्रि  चांद दिखने पर  – 8.30  बजे  के बाद होगा।
चंद्र किरण 8 बजे से कुछ पहले दिखनी शुरु हो जाएगी परंतु इस बार चंद्र दर्शन 8.40 बजे के बाद ही होंगे।
कैसे करें पारंपरिक व्रत?
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके पति,पुत्र,पौत्र,पत्नी तथा सुख सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखें। शिव ,पार्वती, गणेश  व कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें। बाजार में मिलने वाला करवा चौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा स्थान पर लगा लें। चंद्रोदय पर अघ्र्य दें। पूजा के बाद  तांबे या मिटट्ी के करवे में चावल, उड़द की दाल भरें । 
सुहाग की सामग्री,- कंघी,सिंदूर ,चूड़ियां,रिबन, रुपये आदि रखकर दान करें। सास के चरण छूकर आर्शीवाद लें और फल, फूल, मेवा, बायन, मिष्ठान,बायना, सुहाग सामग्री,14पूरियां ,खीर आदि उन्हें भेंट करें। विवाह के प्रथम वर्ष तो यह परंपरा सास के लिए अवष्य निभाई जाती है। इससे सास- बहू के रिश्ते और मजबूत होते हैं।
 
क्या है सरगी का वैज्ञानिक आधार ?
व्रत रखने वाली महिलाओं को उनकी सास सूर्योदय से पूर्व सरगी ‘ सदा सुहागन रहो ’ के आशीर्वाद सहित खाने के लिए देती हैं जिसमें फल, मिठाई, मेवे, मटिठ्यां  ,सेवियां, आलू से बनी कोई सामग्री, पूरी आदि होती है। यह खाद्य सामग्री शरीर को पूरा दिन निर्जल रहने और शारीरिक आवश्यकता को पर्याप्त
 ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम होती है। फल में छिपा विटामिन युक्त तरल दिन में प्यास से बचाता है। फीकी मटठ्ी ऊर्जा प्रदान करती है और रक्तचाप बढ़ने नहीं देती। मेवे आने वाली सर्दी को सहने के लिए शारीरिक क्षमता बढ़ाते हैं। मिठाई सास बहू के संबंधों में मधुरता लाने  का जहां प्रतीक है ,वहीं यह व्रत के कारण शुगर का स्तर घटने नहीं देती जिससे शरीर पूरी क्षमता से कार्य करता है और व्रत बिना जल पिए सफल हो जाता है।यह व्रत शारीरिक व मानसिक परीक्षा है ताकि वैवाहिक जीवन में विषम व विपरीत परिस्थितियों में एक अर्धांगनी , पति का साथ निभा सके। भूखे प्यासे और शांत रहने की कला सीखने का यह भारतीय सभ्यता व संस्कृति में  पर्वोंं के माध्यम से अनूठा प्रशिक्षण है। चंद्र सौंदर्य एवं मन का कारक ग्रह है अतः चंद्रोदय पर व्रत खोलने से मन में शीतलता का  संचार होता है और सोलह श्रृंगार किए पत्नी देख कर  कुरुपता में भी सौंदर्य बोध होता है।
चंद्र राशि एवं सामथ्र्य अनुसार  क्या दें उपहार और किस रंग की पहनें ड्र्ेस इस पर्व पर ?
1.मेष: उपहार:विद्युत या इलेक्ट्र्ानिक उपकरण दें । ड्र्ेस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट या लंहगा ।
2.बृष: उपहार:डायमंड या चांदी का अलंकरण, परफयूम दें  । ड्र्ेस: लाल व  सिल्वर साड़ी या सूट। 
3.मिथुनः उपहार:विद्युत या इलेक्ट्र्ानिक उपकरण दें । ड्र्ेस: हरी बंधेज  साड़ी या सूट, हरी – लाल चूड़ियां। 
4.कर्कः उपहार:चांदी का गहना ,गुलाबी बेड शीट , सिंगल पिलो दें । ड्र्ेस: लाल सफेद साड़ी या सूट, मल्टी कलर चूड़ियां। 
5.सिंहः उपहार:गोल्डन वाच दें । ड्र्ेस: लाल , संतरी, गुलाबी ,गोल्डन साड़ी या सूट। 
6.कन्याः उपहार:विद्युत या इलेक्ट्र्निक उपकरण दें । ड्र्ेस: लाल  हरी गोल्डन साड़ी या सूट। 
7.तुलाः उपहार:कास्मैटिक्स, मेकप किट  दें  । ड्र्ेस: लाल  सिल्वर गोल्डन साड़ी,जामुनी लहंगा  या सूट। 
8.बृश्चिकः उपहार:विद्युत या इलेक्ट्र्निक उपकरण दें । ड्र्ेस: लाल ,मैरुन ,गोल्डन साड़ी या सूट। 
9.धनुः उपहार:पिन्नी या पीला पतीसा ,लडडू दें । ड्र्ेस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट व 9 रंग की चूड़ियां। 
10.मकरः उपहार:विवाह की ग्रुप फोटो ग्रे फ्रेम में गीफट करें  । ड्र्ेस: इलैक्ट्र्कि ब्लू साड़ी या सूट। 
11.कुंभः उपहार:हैंड बैग ,ड्र्ाई फू्रट,चाकलेट , होम एप्लायंस दें । ड्र्ेस: नेवी ब्लू व सिल्वर कलर की मिक्स साड़ी या सूट।
12.मीनः उपहार:राजस्थानी थाली में कोई गोल्ड आयटम और ड्राई फू्रट । ड्र्ेस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट।
करवा चौथ एक राष्ट्रीय पर्व के तौर पर वेलेंटाईन डे के रुप में मनाया जाना चाहिए।
बदलते परिवेश में पति भी व्रत रखते हैं। आज इस व्रत को सफल व खुशहाल दांपत्य जीवन की कामना की विचार धारा को सम्मुख रख कर किया जा रहा है। अब यह व्रत न केवल पत्नी की समर्पण भावना को इंगित करता है अपितु आपसी संबंधों में सामंजस्य, तारातम्य स्थापित करने तथा आपसी रिश्तों की गर्माहट को बरकरार रखने के लिए किया जा रहा है। यही नहीं , जब बहू ,सास के चरण स्पर्श करती है और माता स्वरुप सास उसे आशीर्वाद देती है तो आपसी खटास पिघलने लगती है। सास बहू के रिश्ते और स्नेह और मजबूत हो जाते हैं। यही नहीं , दो परिवार जब आपस में उपहारों का आदान प्रदान बायने के रुप में करते है तो कई गलतफहमियां दूर हो जाती हैंए रिश्ते सुरक्षित हो जाते है। कई परिवार दहेज के झूठे केसों से बच जाते हैं। आपसी झगड़े कोर्ट या मीडिया में उछलने से बच जाते हैं। अतः आज के समाज में करवा चैथ एक राष्ट्र्ीय पर्व के तौर पर वेलेंटाईन डे के रुप में मनाया जाना चाहिए।
आज नए जमाने में कुछ उक्तियां पुरानी पड़ रही हैं। पहले कहा जाता था कि पत्नियां ,पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं परंतु आज विशेषतः युवा वर्ग भावी  या वर्तमान पत्नियों के कल्याण एवं सुरक्षित जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रख रहे हैैं। इस नए बदलाव से और एकल परिवार के कांस्ेप्ट से युवा पीढ़ी में दांपत्य जीवन की डोर और सुदृढ़ हुई है। वैसे कई प्रौढ़ आज भी मौजूद हैं जो अपने युवा जीवन से पत्नी के प्रति समर्पित थे और आज भी व्रत की परंपरा निभा रहे हैं। करवा चौथ का व्रत अब धार्मिक आस्था का आयोजन ही नहीं अपितु राष्र्ट्ीय स्तर का त्योहार बन गया है जिसमें  होटल, माॅल, सिनेमा, उपहार , ग्रीटिंग कार्ड, मेंहदी ,साड़ी, ज्यूलरी , पार्लर ,काजमेटिक्स, जैसा कार्पोरेट वर्ग भी इसका हिस्सा बन गया है।
संचार व्यवस्था की सुविधा से पति -पत्नी की दूरियां केवल बहुत कम हो गई हैं। इंटरनेट, वीडियो कांन्फें्रसिंग, वीडियो फोन , मोबाइल आदि ने दूर रहते हुए भी करवा चौथ का व्रत करने और अपने चांद को देखने में विशेष भूमिका निभाई है। पौराणिकता और आधुनिकता का बहुत अनूठा संगम बन गया है करवा चौथ का पर्व जो वास्तविक रुप से वूमैन डे कहलाने लगा है । सरकार को इसे ‘भारतीय महिला दिवस ’ या  वेलेंटाइन डे की तर्ज पर ‘प्रेम दिवस ’ का रुप देकर अवकाश घोषित करना चहिए।
 
 
दांपत्य जीवन में आई दरार को दूर करने या  वैवाहिक जीवन को  और आनंदमय बनाने के करवा चौथ पर विशेष उपाय
यदि आपके वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां हैं या ‘पति -पत्नी के मध्य किसी  ‘वो ’ के आगमन से विस्फोटक स्थिति बन गई है तो इस करवा चौथ के अवसर पर हमारे ये प्रयोग करने से न चूकें। ये उपाय सरल ,सफल अहिंसक एवं  सात्विक हैं जिससे किसी को शारीरिक नुक्सान नहीं पहुंचेगा और आपके दांपत्य जीवन में मधुरता भी लौट आएगी। 
 
जीवन साथी का सान्निध्य पाने के लिए, एक लाल कागज पर अपना व जीवन साथी का नाम सुनहरे पैन से लिखें । एक लाल रेशमी कपड़े में दो गोमती चक्र, 50 ग्राम पीली सरसों तथा यह कागज मोड़ कर एक पोटली की तरह बांध लें। इस पोटली को कपड़ों वाली अलमारी में कहीं छिपा कर करवा चैथ पर रख दें। अगले करवा पर इसे प्रवाहित कर दें।
ऽ यदि पति या पत्नी का ध्यान कहीं और आकर्षित हो गया हो तो आप जमुनिया नग ‘ परपल एमीथीस्ट’  10 से 15 रत्ती के मध्य चांदी या सोने के लाॅकेट में बनवा कर, शुद्धि के बाद करवा चैथ पर धारण कर लें।
ऽ यदि आप अपने जीवन साथी से किसी अन्य के कारण उपेक्षित हैं तो करवा चैथ  के दिन 5 बेसन के लडडू, आटे के  चीनी में गूंधे  5 पेड़े, 5 केले, 250 ग्राम चने की भीगी दाल, किसी ऐसी एक से अधिक गायों को खिलाएं जिनका बछड़ा उनका दूध पीता हो। करवा चैथ पर इस समस्या को दूर करने के लिए अपने ईष्ट से विनय भी करें।
ऽ यदि पति या पत्नी के विवाहेत्तर संबधों की आशंका हो तो एक पीपल के सूखे पत्ते या भोजपत्र पर ‘उसका’ नाम लिखें । किसी थाली में इस पत्र पर तीन टिक्कियां कपूर की रख कर जला दें और इस संबंध विच्छेद की प्रार्थना करें।

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