पैरोमिता के वायलिन वादन से सजी शाम

0
2377

चंडीगढ़

10 मार्च 2017

दिव्या आज़ाद

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रंृखला को आगे बढ़ाते हुए आज दिनांक 10 मार्च को सैक्टर 71 स्थित कौसरज़ सभागार में 232वीं बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली से आई बनारस घराने से संबंधित वायलिन वादक पैरोमिता मुखर्जी ने अपने वायलिन वादन से दर्षकों का खूब मनोरंजन किया। पैरोमिता पदमभूपण वीण्जीण्जोग की षिश्या हैं। पैरोमिता संगीतज्ञ परिवार से ताल्लुक रखती हैं। इन्होंने अल्पायु से ही हारमोनियम एवं वायलिन में षिक्षा लेनी आरंभ की और इसमें निपुणता प्राप्त की। पैरोमिता ने उस्ताद आषीप खां एवं विदुपी अमीना परेरा के षिश्यत्व में बारीकियां सीखीं।
आज के कार्यक्रम का आरंभ पैरोमिता ने राग भोपाली से किया। जिसमें इन्होंने आलापएजोड़एझाला की प्रभावषाली प्रस्तुति देकर अपनी कला से सभी को अवगत करवाया। जोड़ अंग में जहां इन्होंने स्वरों के आपसी सामंजस्य को कुषलता से दर्षाया वहीं झाले के अंग में हाथ की तैयारी को अनूठे ढंग से पेष करके तालियां बटोरी। इसके उपरांत इन्होंने गत में चार ताल की सवारी पेष करके खूब वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए इन्होंने तीन ताल मध्य लय में प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समापन इन्होंने उस्ताद अब्दुल करीम खां साहिब की बहुत ही पारम्परिक एंव प्रचलित बंदिष से किया जिसे दर्षकों ने खूब सराहा। तंत्रकारी अंग पर पैरोमिता ने विषेप महारथ हासिल की है।
पैरोमिता के साथ तबले पर सिद्धार्थ चैटर्जी ने संगत करके अपनी कला का बखूबी प्रदर्षन किया। केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया एवं मंच का संचालन केन्द्र की डिप्टी रजिस्ट्ार.2 डाॅण्समीरा कौसर ने किया।

LEAVE A REPLY

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.