चंडीगढ़
26 नवंबर 2017
दिव्या आज़ाद 
सेक्टर 29 स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में आजकल श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ चल रहा है जिसमें कथा व्यास भागतव मर्मज्ञ परमपूज्य सुनील भारद्वाज (कैथल) हैं। उनके मुखारंिबद से कथा सुनने केलिए बड़़ी संख्या में भक्तजन पहुंचे। ज्ञानयज्ञ की शुरुआत कलश यात्रा के साथ हुई थी जो श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर सेक्टर 20 से आरंभ होकर बाबा बालकनाथ मंदिर में समाप्त हुई थी। आज कथा का आाखिरी दिन था  जिसमें आज सुनील भारद्वाज ने कथा वाचन करते हुए कहा कि

न रोधयति मां योगो न सांख्यं धर्म एव च ।
न स्वाध्यायस्तपस्त्यागो नेष्तापूर्तं न दक्षिणा ॥
व्रतानि यञश्छन्दांसि तीर्थानि नियमा यमाः ।
यथावरुन्धे सत्सङ्गः सर्वसङ्गापहो हि माम् ॥

अर्थात्  हे उद्धव; सारी सांसारिक आसक्तियों को नाश करने वाले सत्संग के द्वारा जिस प्रकार मैं पूरी तरह वश होता है, उस प्रकार योग, सांख्य, धर्म, स्वाध्याय, तप, त्याग, यागीद वैदिक कर्म, कुंए-कावड़ी बनाने और बाग़ लगाने, दान-दक्षिणा, व्रत, यज्ञ वेदाध्ययन तीर्थ यात्रा, नियम, यम  आदि किसी भी साधन से नहीं होता। परन्तु सत्संग के लिए साधु कैसे होने चाहिए इस बात पर भी विचार करना आवश्यक है। श्री मदभागवत गीता के दूसरे अध्याय में स्थित प्रज्ञ पुरुषों के, बारहवें अध्याय में भक्तों के व चौदहवें में ग्रह्णातीत पुरुषों के  लक्षण बतलायें गयें हैं। श्री मदभागवत में संतों के लक्षण बतलाते हुए श्री कपिल देव जी महाराज अपनी माता से ये कहते हैं।
कथा के समापन के बाद आरती व भंडारा हुआ जिसमें सैंकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

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