इनकमिंग कॉल: मैं चाहे एक करूँ, मैं चाहे 100 करूँ मेरी मर्ज़ी

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इनकमिंग कॉल, यह देखकर हम अकसर झूम से उठते हैं यदि किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जिससे हम बात करना चाहते हैं। लेकिन आज हम आपको इनकमिंग कॉल का भयानक सच बताते हैं।

शहर के ज़्यादातर पीआर को कॉल्स करने की बड़ी लत लगी हुई है जिससे आमतौर से पत्रकार परेशान रहते हैं। सब जानते हैं कि कॉल एक नहीं कम से कम 4-5 बार आती है। हम जिस प्रोफेशन में हैं उसमें अकसर हमारे पास हर किसी का फ़ोन उठाने का समय नहीं होता है। कभी-कभी तो कॉल बैक करना भी भूल जाते हैं। लेकिन कुछ…. जी एक बार फिर पढ़िए “कुछ” (क्योंकि फिर हर कोई मुँह फूला के बैठ जाता है कि हम ऐसा नहीं करते)…. कुछ पीआर लोगों को कॉल्स करके पत्रकारों को परेशान करने की ऐसी आदत है कि वे पहले अपना इनविटेशन भेजते हैं, फिर फ़ोन करते हैं, अगले दिन सुबह फ़ोन करके याद दिलाते हैं कि आज इतने बजे इवेंट है आपने आना है, उसके बाद इवेंट शुरू होते ही कॉल करते हैं कि आप आए नहीं हैं। लेकिन अगर आपने उनका फ़ोन नहीं उठाया तो वे आपको लगातार हर थोड़ी देर में फोन करते रहते हैं।

इनको शायद यह नहीं पता कि साइलेंट कम्युनिकेशन यानी व्हाट्सएप, टेक्स्ट मैसेज नाम की भी कोई चीज़ बनी हुई है। इतनी बार कॉल करने से पत्रकार केवल परेशान होते हैं और कई तो इस कारण ही अगली बार से फ़ोन उठाने से परहेज़ करते हैं।

अब ये तो समझ लेते हैं कि सामने वाला बस इनकी ही कॉल के इंतज़ार में बैठा था और जैसे ही ये कॉल करेंगे वो उठा लेगा। इतना ही नहीं कुछ पत्रकारों को भी यह गंदी आदत है कि वे लगातार कॉल करते हैं और यहां तक कि समय का भी लिहाज़ नहीं करते। रात को 11 बजे, सुबह के 6-7 बजे इतनी कॉल्स करते हैं और वजह ज़्यादातर बेमतलब की निकलती है। हर इंसान को सामने वाले के समय, कंफर्ट और प्राइवेसी की इज़्ज़त करनी चाहिए। बहुत सी बातें केवल व्हाट्सएप पर मैसेज करके बताई जा सकती हैं और यदि ऐसा कुछ हो जो बहुत अर्जेंट हो तो सामने वाले को अर्जेंट का मैसेज छोड़ देना चाहिए। सामने वाले बंदे को जैसे ही मौका मिलेगा वो खुद कॉल बैक करेगा।

पर क्या कहने इतनी छोटी सी बात कुछ पीआर और पत्रकारों के दिमाग में जाती ही नहीं है। ये तो सोचते हैं कि मैं चाहे जब मर्ज़ी, जितनी मर्ज़ी कॉल्स करूँ, मेरी मर्ज़ी!

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