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“बंद पड़े हों शौचालय तो”

कडाके की ठण्ड ने है कहर मचाया
सर्दी के पड़ने  से हर कोई घबराया
दरवाज़े सभी घरों के बंद होंने लगे
रजाइयों में दुबक के लोग सोने लगे
         बज़ुर्गों, हृदय रोगियों को दें डाक्टर सलाह
         ठंड और धुंध में घर से ना निकलें  जरा
         धूप वा साफ मौसम हो तभी सैर पे जाएं
         थोड़ी लापरवाही से बिमारी  ना बुलाएं
आज धूप निकली बड़े दिनों के बाद
डाक्टरों  की सलाह आज आई याद
धूप सेंकने हम  घर से निकले आज
नगरपालिका  के पार्क में बैठे आज
           लोगों की भीड़ पार्क में थी आज
           धूप देख खिले चेहरे सबके आज
           धूप भी बज़ुर्गों को ना आई रास
           उनके चेहरे से संकट दिखे आज
उलझन उनकी चेहरों से नज़र आती जाए
पेशाब आने की लत से वो सभी थे घबराए
दो दो शौचालय पार्क मे,बंद ताले नज़र आएं
बज़ुर्गों की हालत ऐसी बनी बयां कर न पाएं
            मजबूरी  बज़ुर्गों को देखो कहां ले आई
            दीवारें उनके पेशाब से तर नज़र आईं
            सरकारी खर्चे से शौचालय तो बन जाएं
            बंद पड़े हों तो, करने पेशाब कहां जाएं
बृज किशोर भाटिया , चंडीगढ़।