जगह कम थी परिवार बड़े थे,
आपस में सभी खुश बड़े थे ।
आमदन कम दिल बड़े थे,
कमाता एक खाते सभी थे।
रोता था जब कोई सभी मनाते थे,
रिश्ते भी तब कितने सच्चे होते थे।
न दिल में फरेब ना बहाने थे,
मिल कर सब गाते तराने थे।
वक्त बदला कैसे दिन आ गए,
लोगों के दिलों में फर्क आ गए।
आमदन के आसार बढ़ते गए,
रिश्ते आपस में कटते गए।
बृज किशोर भाटिया, चंडीगढ़
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