“वक्त बदला रिश्ते बदले”

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जगह कम थी परिवार बड़े थे,

आपस में सभी खुश बड़े थे ।

आमदन कम दिल बड़े थे,

कमाता एक खाते सभी थे।

रोता था जब कोई सभी मनाते थे,

रिश्ते भी तब कितने सच्चे होते थे।

न दिल में फरेब ना बहाने थे,

मिल कर सब गाते तराने थे।

वक्त बदला कैसे दिन आ गए,

लोगों के दिलों में फर्क आ गए।

आमदन के आसार बढ़ते गए,

रिश्ते आपस में कटते गए।

बृज किशोर भाटिया, चंडीगढ़ 

brijkbhatia@yahoo.com

 

(Disclaimer: Content is subject to Copyright)

 

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