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“वोट मर्ज़ी से”

चुनाव के अखाड़े में,
हो रहा है दंगल भारी,
कहीं दिखें दिग्ज नेता,
युवा भी अबकी बारी।
           टी वी में अखबारों में,
           पोस्टर/इश्तिहारों में,
           अपनी तारीफ कराते,
           5 साल ये गुम हो जाते।
किसी को कुछ परवाह नहीं,
ठोस मुद्दा किसीके पास नही,
जानें वोटरों के कैसे लुभाना है,
फिर उनको उल्लु कैसे बनाना है।
            कोई अपने कामों से जाना जाए,
            कोई अपने भाषणों को दोहराए,
            कोई जाती वाद,धर्म ले के आए,
            कोई परिवार के पक्ष में आ जाए।
देश का सभी प्रत्याशि गुण गाएं,
देश हित में कुछ करें तो समझाएं,
अपना या पार्टी का करें गुणगान,
ये खुद जानें, ये सच्चे, के बईमान।
              भारत जाना जाता है संस्कारों से,
              देश भक्त शहीदों के बलिदानों से,
              पर देशवासियों से कुछ छुपा नहीं,
              देश गुलाम बना देश के गद्दारों से।
वोट डालने का अधिकार है सबको,
सोच कर वोट है डालना है सबको,
किसको डालें वोट ये आपकी मर्जी,
ना कोई ज़ोर ओर ना कोई ज़बरदस्ती।
बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़