“तूफान”

0
1485
आया ज़ोर का तूफान, हाहाकार मचने लगा
चीख पुकार सुंन लोगों की भय लगने लगा
कई  वृक्षों के गिरने की आवाज़ें भी आने लगीं
कच्चे मकानों से छतें उड़ती नज़र आने लगीं
चारों तरफ तीव्र हवाओं से कहर बरसने लगा
तेज वर्षा का पानी घरों/दुकानों मे घुसने  लगा
सड़क किनारे बैठ वस्तुएं बेचने वाले बेहाल हुए
कुछ समान बचा पाए कईयों के पानी में बह गए
कुछ घंटों के बाद बारिश रुकी, तूफान भी थम गया
रौनकें बस्तियों की को तूफान विराने में बदल गया
तूफान आज तेज़ हवाओं व वर्षा से ही नहीं आते
राजनीती में फैलते पर्दूषण के असर से भी  आते
बिना सोचे समझे जब औरों के बहकावे में आएंगे
अपनी खुशहाल जिँदगी में खुद ही आग लगाएँगे।
नेता जब स्वार्थ तयाग कर देश हित को अपनाएंगे
देश की जनता के साथ मिल देश आगे ले जाएंगे।
-बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़/बेंगलोर

LEAVE A REPLY

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.