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शुभचिंतक

जो ढूंढते  रहते थे हर काम में कमियां मुझमें,
वह सब मेरे दुश्मन नहीं शुभचिंतक बन गये।
जला कर जोत कमियाँ सुधारने की मुझमें,
वो मेरी कामयाबी के पथ प्रदर्शक बन गये ।
बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़

brijkbhatia@yahoo.com

 

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