चण्डीगढ़
26 जुलाई 2019

दिव्या आज़ाद 

श्री सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 45-सी में श्री शिव पुराण की कथा पंडित श्री रामकृष्ण के मुखारविंद से सुनाई जा रही है जिसमें श्रद्धालुगण जोर-शोर से हिस्सा ले रही है। पंडित जी ने शिव पुराण में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताते हुए कहा कि शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं। शिव पुराण में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। त्रिदेवों में इन्हें संहार का देवता भी माना गया है। अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना की तुलना में शिवोपासना को अत्यन्त सरल माना गया है। अन्य देवताओं की भांति को सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती । शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल यथा-धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है। वे तो औघड़ बाबा हैं। जटाजूट धारी, गले में लिपटे नाग और रुद्राक्ष की मालाएं, शरीर पर बाघम्बर, चिता की भस्म लगाए एवं हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए वे सारे विश्व को अपनी पद्चाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नचाते रहते हैं। इसीलिए उन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है। उनकी वेशभूषा से ‘जीवन’ और ‘मृत्यु’ का बोध होता है। शीश पर गंगा और चन्द्र –जीवन एवं कला के द्योतम हैं। शरीर पर चिता की भस्म मृत्यु की प्रतीक है। यह जीवन गंगा की धारा की भांति चलते हुए अन्त में मृत्यु सागर में लीन हो जाता है।
ये कथा 17 जुलाई को आरम्भ हुई थी जो 15 अगस्त तक चलेगी। महिला मंडल संकीर्तन की प्रधान श्रीमती रमन चतुर्वेदी इसकी मुख्य आयोजक है। मंदिर के जनरल सेक्रेट्री शिवकुमार कौशिक एवं प्रधान हर्ष कुमार ने अपनी सभा के सहयोग से हो रही कथा में पूर्ण सहयोग दे रहे हैं।

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