चण्डीगढ़
14 जून 2022
दिव्या आज़ाद
स्थानीय राजनीति में लगभग आधी शताब्दी का सफर पूरा करने की नजदीक पहुँच चुके सत्यपाल जैन का चण्डीगढ़ की राजनीति में जलवा आज भी बरकरार है। कल 15 जून को वे अपनी 70वीं वर्षगाँठ मनाने जा रहे हैं। उनके समर्थकों व प्रशंसकों ने इस ख़ास मौके को लेकर काफी उत्साह है। उनकी विराट शख्सियत का अंदाजा इसी से हो जाता है कि वर्ष 1991 से लेकर अब तक चण्डीगढ़ की एकमात्र संसदीय सीट का हर चुनाव सत्यपाल जैन की प्रभाव से मुक्त नहीं रहा, चाहे वे चुनाव जीतें हों या नहीं, या फिर चाहे कोई और भाजपा से चुनाव लड़ कर जीता हो या हारा हो। वर्ष 1999 का चुनाव हो या फिर 2014 व 2019 के। मौजूदा सांसद को दोनों बार जिताने में भी सत्यपाल जैन की अहम भूमिका रही।
अखबार विक्रेता से सांसद व एएसजी तक का सफर
सत्यपाल जैन ने एक मामूली अखबार विक्रेता से कैरियर प्रारंभ किया व अपनी अथक मेहनत की बूते वकालत पास कर सफल वकील बने। दो बार चंडीगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए व वर्तमान में भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद तक पहुंचे। सत्यपाल जैन की छवि तेज तर्रार, हाजिर जवाब व हरदिल अजीज व कुशल वक्ता की है।
आपातकाल में जेल जाकर यातनाएं सहीं
15 जून 1952 में स्वर्गीय रूपलाल जैन के घर खरड़ तहसील पंजाब में जन्मे ,सत्य पाल जैन जी ने 23 वर्ष की छोटी उम्र में ही सन् 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या कर आपातकाल लागू करने के दौरान में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से प्रभावित होकर आपातकाल के विरुद्ध आवाज उठाने के कारण उन्हें मीसा की अंतर्गत गिरफ्तार कर जेल में बंद कर बहुत बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया। बिजली के करंट के झटके तक भी लगाए गए। यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की पटकथा प्रारंभ हो गई। वे 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, चण्डीगढ़ के अध्यक्ष बने व पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल के महासचिव भी निर्वाचित हुए। इससे पहले सन् 1976 में युवावस्था में सीनेट का मेंबर बन कर एक इतिहास रचा। उसके बाद सन् 1980, 1984 व 1998 में लगातार सीनेट के मेंबर बन कर पंजाब यूनिवर्सिटी में गौरवमई इतिहास लिखा व अपना प्रभावशाली योगदान प्रदान किया। सन् 1996 व 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर उन्होंने शानदार जीत प्राप्त कर भाजपा का परचम लहराया। वे हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड जैसे महत्वपूर्ण प्रदेशों के पार्टी के प्रभारी रह चुके हैं। सत्यपाल जैन सन् 1996 में लोकसभा में पार्टी के व्हिप पद पर शोभा भी बढ़ा चुके हैं।
पार्टी के बड़े नेताओं की विभिन्न मामलों में की मजबूत पैरवी
कानून की बारीकियों की गहरे जानकार सत्यपाल जैन न केवल भारत के उप प्रधानमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस में एडवोकेट के रूप में सेवाएं प्रदान कर चुके हैं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ पार्टी भी को समय-समय पर कानूनी सेवाएं प्रदान करते रहे है व सभी जगह सफल पैरवी की।
वर्तमान में सत्यपाल जैन भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के पद पर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, उनकी सेवाओं की कुशलता को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें दूसरी बार भी इस पद पर सुशोभित किया। इसके अलावा वे लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के सदस्य के रूप में भी कार्यरत हैं।
आए दिन विभिन्न प्रतिनिधिमंडल अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं जैन के द्वार
उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसे से लगाया जा सकता है कि आज की तिथि में कर्मचारियों को कोई समस्या हो या बिजली पानी का मुद्दा हो, अध्यापकों की समस्या हो या विद्यार्थियों की समस्या हो या फिर चंडीगढ़ के नागरिकों का कोई भी मुद्दा हो, सत्यपाल जैन की तरफ सब आशा की नजर से देखते हैं और समाधान के लिए उनके पास अवश्य जाते हैं। सत्यपाल जैन भी अपने सहयोगात्मक, मिलनसार व खुशमिजाज स्वभाव के चलते अपने घर या कार्यालय में आये हर प्रतिनिधिमंडल की समस्याओं को बड़े ही धैर्यपूर्वक सुनते हैं व हर संभव समाधान के लिए प्रयास करते हैं। चंडीगढ़ की सभी सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं द्वारा उन्हें मान-सम्मान प्रदान किया जाता है। उनकी छवि एक ऐसे राजनेता की है, जहां पर उनका घर का दरवाजा अमीर, गरीब, मजदूर, पढ़े-लिखे, अनपढ़, सबके लिए खुला है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकप्रियता का पैमाना भी यही है।