“सैनिक”

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बांध सर पे कफ़न सीमा पे हम खड़े,
घुसपैठ हो ना पाए तैयार हम खड़े।
दुश्मन चाहे कितनी भी कोशिशें करे,
धकेल देंगे उसको  हम सीमा से परे,
वतन पर मिटने को तैयार हम खड़े।
बुरे इरादों वालों का करेंगे बुरा हाल,
ग़द्दारों को देश से देंगे बाहर निकाल,
देश पे आंच ना आये तैनात हम खड़े।
हम नेता नहीं ना ही देते हैं भाषण,
ना बैठें धरनों पर न मांगे आरक्षण,
तिरंगे की शान रखने को हैं हम खड़े।
सैनिक हैं भारत मां के सीमा पे डटे पड़े
दुश्मन ज़्यादा आए तो भी ना फर्क पड़े,
दुश्मन को खदेड़ने के लिए हम हैं खड़े,
कट जाएं सर हमारे तो कोई गम नहीं,
देश की माटी रौंदे पाए ना फिर कोई,
तिरँगे में लिपटने को तैयार हम खड़े।
बांध सर पे कफ़न सीमा पे हम खड़े,
घुसपैठ हो ना पाए तैयार हम खड़े।
 
बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़

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