“पल”

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हर पल की अजब कहानी है
हकीकत किसीने ना जानी है
इक पल  ले  आये खुशियां
दूजे पल आंखों में पानी है
हर पल इक जैसा रहता नहीं
अभी यहां तो अभी गया कहीं
पल किसी के बस आए नहीं
ये किसी के आगे झुका नहीं
अच्छा पल जब आए कभी
उसका भरपूर सम्मान करो
ना इतराओ ना घमंड करो
अच्छा पल ना रहता कभी
जब जब पल मुश्किल आएगा
मन विचलित ना तुम होने देना
मुश्किल को तुम चुनौती देना
मुश्किल पल भी टल जाएगा
बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़

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