चण्डीगढ़

7 मई 2017

दिव्या आज़ाद

भारतीय षास्त्रीय संगीत एवं कला जगत में प्राचीन कला केन्द्र का आज एक ऐसा प्रतिप्ठित मुकाम है जिसे केन्द्र्र ने 60 वर्पो से भी अधिक समय के कठिन परिश्रम एवं निरंतर प्रयासों से बनाया है। केन्द्र द्वारा संगीत और नृत्य के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। इसी के अन्तर्गत केन्द्र द्वारा जयपुर घराने के प्रसिद्ध कत्थक नर्तक एवं गुरू पंडित राजेन्द्र गंगानी के जन्म दिवस के षुभ अवसर पर उनके षिश्यों द्वारा गुरू को समर्पित एक कार्यक्रम पेष किया गया। जिसे प्राचीन कला केन्द्र के सौजन्य से भारतीय विद्या भवन के सभागार,सैक्टर 27 में सायं 6ः30 बजे आयोजित किया गया। पंडित राजेन्द्र गंगानी के षिश्य दीपक अरोड़ा एवं साथियों द्वारा आयोजित इस नृत्य संध्या में करीब 40 कलाकारों ने भाग लिया। जिसमें 5 से 40 वर्प तक के कलाकारों ने कत्थक की विभिन्न प्रस्तुतियां देकर दर्षकों का भरपूर मनोरंजन किया। इस अवसर पर गुरू राजेन्द्र गंगानी स्वयं भी उपस्थित थे। उन्होंने अपने षिश्यों द्वारा प्रस्तुत इस खास प्रस्तुति को खूब सराहा।

दीपक अरोड़ा एक युवा एवं प्रतिभाषाली कलाकार हैं जिन्होंने कत्थक नृत्य के पुरातन स्वरूप का गहराई से अध्ययन किया है और गुरू षिश्य परम्परा के तहत पंडित राजेन्द्र गंगानी से कत्थक की विधिवत षिक्षा ली है। उनके कत्थक में तकनीकी भाव एवं ताल पर उनकी पकड़ काबिले तारीफ है। दीपक ने कत्थक केन्द्र से नृत्य में स्नाताकोतर तक षिक्षा ग्रहण की है। और आजकल दीपक गुड़गांव में अपनी एक सफल नृत्यषाला का संचालन कर रहे हैं। इसके अलावा दीपक देष ही नहीं विदेषों में भी अपनी कला एवं प्रतिभा का बखूबी प्रदर्षन कर चुके हैं। इनके साथ मंच पर श्रीपर्णा,षुभ्रा एवं जतिंदर ने भी नृत्य प्रस्तुतियां दी और दीपक ने अपने षिश्यों के साथ अपने गुरू को समर्पित विभिन्न कत्थक प्रस्तुतियां देकर दर्षकों की तालियां बटोरी।
कार्यक्रम का आरंभ गणेष वंदना से हुआ जिसमें ‘‘षुभ घड़ी प्रथम गणेष मनाओ ’’ से कार्यक्रम की सुंदर षुरूआत हुई। इसमें दीपक एवं साथियों ने भगवान गणेष की स्तुति की। इसके पष्चात एक नृत्य जिसमें धरती मां को सलाम किया गया,‘‘भूमि मंगलम’’ से धरती,वायु,अग्नि,जल इत्यादि की अर्चना की गई और नृत्य के माध्यम से सजी इस प्रस्तुति को बहुत जोरदार तरीके से प्रस्तुत किया गया। इसके पष्चात षुद्ध कत्थक नृत्य में तराना प्रस्तुत किया गया। इसके उपरांत एक बहुत सुंदर प्रस्तुति दी गई जिसमें गज़ल पेष की गई। ‘‘वो इधर से आएं हैं,राहों में फूल मुस्कुराए हैं,लोग कांटो से बचके चलते हैं हमने फूलों से जख्म खाएं हैं’’ इस गज़ल पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत करके दीपक ने खूब तालियां बटोरी।
इसके पष्चात कलाकारों द्वारा ‘‘षिव स्तुति’’ प्रस्तुत की गई जिसमें कत्थक नृत्य के माध्यम से ‘‘षंकर अति प्रचंड’’ प्रस्तुत करके दर्षकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पष्चात तीन ताल में षुद्ध कत्थक नृत्य जिसमें तोड़े,टुकड़े,परन,गत निकास,चक्रदार परन इत्यादि का सुंदर प्रदर्षन किया गया।  कार्यक्रम का समापन दीपक,षुभ्रा एवं श्रीपर्णा के कत्थक की जुगलबंदी से हुआ जिसे दर्षकों ने खूब सराहा।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्ार डाॅ.षोभा कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे। प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना डाॅ.समीरा कौसर ने इस कार्यक्रम का सफल संचालन किया।

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