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पंजाब समेत उत्तरी भारत के वैल्यूअर्स ने खोला सरकार के विरूद्ध मोर्चा

चंडीगढ़
14 अक्तूबर 2018 
दिव्या आज़ाद
पंजाब समेत उत्तरी भारत के पंजीकृत वैल्यूअर्स ने केंद्र सरकार के कारपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा हजारों स्टेकहोल्डर्स की आपत्तियों को दरकिनार कर अधिसूचित (नोटिफाईड) किये कंपनीज (रजिस्टर्ड वैल्यूअर्स एंड वैल्यूएशंस रुल्स) 2017 के विरोध में मोर्चा खोल दिया है। सरकार के विरूद्ध मोर्चा खोलने वालों में चंडीगढ, पंजाब, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली एनसीआर, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र के वैल्यूअर्स शामिल हैं।
 
वैल्यूअर्स ऐसोसिएशन के महासचिव इंजीनियर कपिल अरोड़ा ने बताया कि इस समय पंजाब में 1500 पंजीकृत वैल्यूअर्स हैं। वर्ष 2007 से एक्ट ऑफ पार्लियामैंट के अनुसार सभी बैंकों के लिये अनिवार्य है कि वैल्थ टैक्स एक्ट 1957 के अंर्तगत किसी स्वीकृत वैल्यूअर्स से वैल्यूएशंस करवायें और जिसमें स्पष्ट किया गया है स्वीकृत (अप्रूव्ड) वैल्यूअर दस सालों से प्रेक्टिस में हो। दूसरी तरफ बैंकों ने फर्जी डिग्री धारक वैल्यूअर्स को इनपैनल्ड किया हुआ है जोकि वैल्यूएशन के योग्य नहीं है। 
 
इस मुद्दे को सुलझाने की बजाए वैल्यूअर्स को एक निजी संस्थान का सदस्य बनने के लिये मजबूर किया जा रहा है और साथ ही उन पर पचास घंटे का एक निजी कोर्स थोपा जा रहा है। यह सब सुप्रीम कोर्ट और यूजीसी एक्ट के सैक्शन 22(3) के उन दिशानिर्देशों की अवहेलना है जिसमें देश में असवैधानिक तरीके से फर्जी डिग्रियां और सर्टिफिकेट नहीं बांटे जा सकते है।  अरोड़ा ने बताया कि जमीन, ईमारतों, प्लांट और मशीनों की वैल्यूएशन एक तकनीकी विषय है। ऐसे में समझ से परे है कि कैसे कोई बिना तकनीकि डिग्री धारक व्यक्ति को मात्र पचास घंटे की ट्रेनिंग द्वारा (जोकि छह दिनों में दी जायेगी) इस प्रोफेशन की जटिलतायें समझ आयेंगीं।
 
उन्होंने बताया कि मार्च 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में विदेशी एडवोकेट्स को प्रेक्टिस करने पर रोक लगा दी थी जबकि कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के अनुसार विदेशी वैल्यूअर्स देश में अपना संचालन कर सकते हैं जोकि यकीनन ही अब भारतीय वैल्यूएशन प्रणाली को ओर ज्यादा गिरायेंगें क्योंकि हमारे देश की वैल्यूएशन प्रणाली अन्य देशो की प्रणाली से बिल्कुल भिन्न है। 
देश मे एनपीए के मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुये इंजीनियर कपिल अरोडा ने बताया कि  एनपीए का कारण वैल्यूअर्स नहीं बैंकिंग नीतियां है क्योंकि बैंकों ने कारपोरेट सैक्टरों व अन्य क्षेत्रों को बिना सैक्योरिटी के भारी मात्रा में लोन दिया हुआ है। इसी कारण लगभग 60 से 70 फीसदी तक एनपीए लोन की रिकवरी करना लगभग नामुमकिन है।  डिफाल्टरों की इनफ्लेटिड बैलेंस शीट्स, एनपीए अकाऊ्ट्स की रिस्ट्रकचरिंग और कंपनियों द्वारा की गई वैल्यूएशन मुख्य कारण रही है। 
 
सभी वैल्यूअर्स ऐसोसिएशनों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह पचास घंटे के ट्रेनिंग और निजी संस्थान जैसे आरवीओ की सदस्यता तथा आईबीबीआई द्वारा मौजूदा सरकारी रजिस्टर्ड वैल्यूअर्स के लिये अनिवार्य की गई परीक्षा के फैसले को वापिस ले। ऐसोसिएशनों ने यह भी सुझाया है कि अन्य प्रोफेशनों की तरह इस प्रोफेशन में भी सुधार लाने के लिये सरकार को चाहिये की वह नये रजिस्ट्रेशन के लिये दो से तीन साल का ट्रेनिंग प्रोग्राम किसी मौजूदा सरकारी मान्यता प्राप्त वैल्यूअर के अधीन शुरु करे।