चंडीगढ़
13 जनवरी 2020
दिव्या आज़ाद
मेहरा एनवायरनमेंट एंड आर्ट फाउंडेशन चंडीगढ़ के संस्थापक एवं चेयरमैन कुलदीप मेहरा ने बताया कि 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के एक उच्च मध्यवर्गीय परिवार में स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। वह करोड़ो युवाओं के प्रेरणा स्रोत है इसलिए आज हमनें यहाँ भारत सरकार, गृह मंत्रालय के समन्वय निदेशालय पुलिस बेतार कर्मचारियों की सेक्टर 24 स्तिथ अंतर राज्य पुलिस बेतार कॉलोनी के जवानों के साथ मिलकर त्रिवेणी (नीम, पीपल, बरगद) लगाकर स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिन “राष्ट्रीय युवा दिवस” के रूप में मनाया। कहते है कि युगनायक स्वामी विवेकानंद जी को पहाड़ो की वादियों में पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर ही ब्रह्मांड का ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसलिए हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पीपल के पेड़ लगाने होंगे। इससे हमें शुद्ध ऑक्सिजन मिलती है।
संस्था के चेयरमैन कुलदीप मेहरा ने युवाओं को जागरूक करने के लिए स्वामी विवेकानंद जी के विचारों और आदर्शों के बारे में बताते हुए कहा कि 12 जनवरी का दिन 1984 से प्रत्येक वर्ष भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी। स्वामी विवेकानंद जी एक ऐसे युगपुरुष थे जिनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति और भारतीयता से सराबोर था। उनके सारे चिंतन का केंद्र बिंदु सदैव राष्ट्र और राष्ट्रवाद ही रहा है। स्वामी विवेकानंद जी के कईं कथन काफी प्रसिद्ध है जो करोड़ों युवाओं को प्रेरणा देते हैं जैसे-
1. उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक कि अपने लक्ष्य तक न पहुंच जाओ।
2. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
3. तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं।
4. सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
5. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।
5. अज्ञान विषमता और आकांक्षा ही वे तीन बुराइयां हैं, जो मानवता के दु:खों के कारक हैं और इनमें से हर एक बुराई दूसरे की घनिष्ठ मित्र है।
ना जाने स्वामी विवेकानंद जी के ऐसे कितने ही कथन है जो करोड़ो युवाओं के प्रेरणादायक है। आप सब युवाओं को भी उनके दिखाये रास्ते पर चलना होगा तभी देश और प्रगतिशील होगा।
स्वामी विवेकानंद जी का बचपन का नाम नरेंद्रनाथ था, वह विश्वनाथ और भुवनेश्वरी के सबसे बड़े पुत्र थे। नरेन्द्र का बाल्यकाल तो स्वाभाविक विद्याओं और ज्ञान अर्जन में व्यतीत हो रहा था किन्तु ज्ञान और सत्य के खोजी नरेन्द्र अपने बाल्यकाल में अचानक जीवन के चरम सत्य की खोज के लिए यह जानने के लिए व्याकुल हो उठे कि क्या सृष्टि नियंता जैसी कोई शक्ति है जिसे लोग ईश्वर करते हैं और यह सत्य और परमज्ञान की खोज उन्हें संत श्री रामकृष्ण परमहंस तक ले गई और उनके सान्निध्य और आशीर्वाद पाकर ही नरेन्द्र की ज्ञान पिपासा शांत हुई और वह सम्पूर्ण विश्व के स्वामी विवेकानंद के रूप में स्वयं को प्रस्तुत कर पाए।
उन्होंने अपने विचारों को मूर्तरूप देने के लिए 1 मई 1879 को रामकृष्ण मिशन एसोसिएशन की स्थापना की जो रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन नाम से दो पृथक संस्थाएं गठित हुई। जो संस्थाएं विश्वभर में सैकड़ों केंद्र हैं और ये संस्थाएं शिक्षा, चिकित्सा, संस्कृति, अध्यात्म और अन्यान्य सेवा प्रकल्पों के लिए विश्वव्यापी व प्रख्यात हो चुकी हैं। इतना ही नहीं स्वामी जी ने शिकागो में अपने संभाषण द्वारा सम्पूर्ण विश्व को भारत के विश्वगुरु होनें का दृढ़ सन्देश दिया था। साथ ही उन्होंने सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया। बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, सयुंक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। विवेकानंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिन्दू दर्शन के सिद्धांतों का प्रचार और प्रसार किया।
स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर आयोजित इस त्रिवेणी पौधारोपण कार्यक्रम में मेहरा एनवायरनमेंट एंड आर्ट फाउंडेशन चंडीगढ़ के संस्थापक एवं चेयरमैन कुलदीप मेहरा, संस्था की अध्यक्ष सरिता मेहरा, दिष्टि मेहरा, अंतर राज्य पुलिस बेतार कॉलोनी के जवानों के साथ साथ काफी युवाओं ने भी भाग लिया जिनमें मुख्य रूप से दिलेर सिंह राणा, संजय कादियान, अश्वनी ठाकुर, देशराज ठाकुर, उमेश रावत, चन्द्र, दिनेश, किट्टी, साहिल, हितेश, अभय सिंह, आशीष ठाकुर, बजरंग बाली, अशोक कुमार, नवीन, सौरव, ललित, मुकुल, अर्जुन, गुरनेक, प्रिंस आदि युवाओं ने बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाई।

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