आज बात करेंगे ऐसे महोदय की जिनकी इतनी जान-पहचान है कि आपको लगने लगेगा कि आपने तो आजतक पहचान बनाई ही नहीं है। मोहाली जिले के ऐसे पत्रकार महोदय हैं जिनको आईपीएस से लेकर सिपाही तक अच्छे से जानते हैं। जानते क्या हैं सब के सब इनके क्लासमेट रह चुके हैं।

जी, महोदय इतने पढ़े लिखे लगते हैं कि सब के सब इनके क्लासमेट निकल आते हैं। जैसे ही मोहाली या आस-पास के किसी एरिया में पुलिस में कोई नई जॉइनिंग होती है महोदय उनको बधाई देने के लिए बुके लेकर पहुंच जाते हैं। इसके साथ ही महोदय उनके साथ तस्वीर खिंचवा कर फेसबुक या व्हाट्सएप ग्रुप में डालते हैं कैप्शन के साथ कि इनको नई पोस्ट/जॉइनिंग के लिए बधाई, यह मेरे क्लासमेट रह चुके हैं।

मोहाली में या आस-पास के एरिया में पुलिस में नई भर्ती या प्रमोशन लेने वाले या तो इनके क्लासमेट होते हैं या फिर बुआ/मासी/चाची/ताई के लड़के। मतलब महोदय का इतना रुतबा है कि इनके रिशेदारों या क्लेसस्मट्स को ही पुलिस में भर्ती मिलती है। क्या कमाल किस्मत है न महोदय की????

जॉइनिंग हुई नहीं उससे पहले महोदय ग्रुप्स में बधाई संदेश डाल देते हैं कि इनकी जॉइनिंग पर मैं बहुत खुश हूं। यह तो मेरी बुआ के लड़के हैं। उसके अगले दिन ही फ़ूलों का गुलदस्ता लेकर सीधा उनके ऑफिस में नज़र आते हैं। हमें भी चाहिए ऐसी किस्मत!!!

हाल ही में थोड़े दिनों पहले फ़र्ज़ी पत्रकार को पकड़ा गया है जिसके पास से कई आईडी मिली हैं। जो एक इमीग्रेशन कंपनी को ब्लैकमेल कर रहा था। जैसे ही यह बात मीडिया तक पहुंची, सबको लगा कहीं ये वो ही तो नहीं न जिनके क्लासमेट पुलिस वाले होते हैं?!

अब आप समझ तो गए होंगे न महोदय किस पानी में हैं! ज़्यादा बोलने की जरूरत नहीं है महोदय की हरकत ही सब कुछ बयान कर रही है। फेंकने की कला कोई महोदय से सीखे। इनको तो फेंकने पर ट्यूशन क्लासेज शुरू करनी चाहिए। सबसे पहले मैं जॉइन करूंगी, आखिर मुझे भी सीखना है कि रिश्तेदारी कैसे निभाते हैं!

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