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जीवन की डोर भगवान के हाथों सौंप, धर्म और सत्य के मार्ग का करें अनुसरन: कथाव्यास अतुल कृष्ण शास्त्री

चंडीगढ़
9 जुलाई 2018
दिव्या आज़ाद
ब्रह्मलीन श्री सतगुरू देव श्री श्री 108 श्री मुनि गौरवानंद गिरि जी महाराज की 31 वीं पुन्य बरसी समारोह के उपलक्ष्य में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ  के तीसरे दिन कथाव्यास अतुल कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालुओं को बताया कि मनुष्य को अपने जीवन की डोर भगवान के हाथों में सौंप कर धर्म और सत्य के मार्ग का अनुसरन करना चाहिए। जिसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं उनका कोई बाल भी बांका नही कर सकता। भगवान के स्मरण से पापों का नाश होता है और सद्गति मिलती है।
इस अवसर पर सभा के प्रधान दलीप चंद गुप्ता, उप प्रधान ओ पी पाहवा के परिवार कार्यालय अध्यक्ष राम प्रकाश ने श्रीमद् भागवत महापुराण की आरती की जिसमें अन्य श्रद्धालु भी उपस्थित थे।
कथाव्यास श्री अतुल कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि भगवान ने 24 अवतार लिये। प्रत्येक अवतार लेने का प्रायोजन धर्म की रक्षा व भक्तों का उद्धार करना था। जब श्रीनारायण जी के पार्षद जय और विजय का पतन हुआ उनका पुर्नजन्म राक्षस कुल में हुआ तो उनके उद्धार हेतु भगवान ने समय समय पर बराह, नरसिंह, राम-कृष्ण के रूप में अवतार लेकर अपने भक्तों की रक्षा व धर्म की स्थापना की। कथा व्यास शास्त्री जी ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण जन्म की कथा का रसपान भी इस दौरान करवाया। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की आकृर्षित झांकी ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।
इस दौरान महिला संकीर्तन मंडल द्वारा भगवान के मधुर भजन गाये गये जिससे उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूम उठे।