जैसी भावना होगी वैसे ही भाव बनेंगे – सौरभ मुनि

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चंडीगढ़

5 जुलाई 2017

कुलबीर सिंह कलसी

जीवन में नेक कार्य करने के लिए अच्छे भावों का होना आवश्यक है, और अच्छे भावों के लिए उत्तम भावना का होना अतिआवश्यक है | जो व्यक्ति जिस प्रकार की भावना से अपने आपको भावित करता है, वह उसी रूप में बदल जाता है | जैन परंम्परा में भावना का विशेष महत्व है | इसे कोई आध्यात्मिक मुल्य दे या न दे, किन्तु यह तथ्य सपषट है कि भावना के आधार पर ही व्यक्ति बनता-बिगड़ता है | भावना के बिना इंसान को कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता | शुद्ध भावना से एक रूपये का दिया हुआ दान भी बहुत है, अन्यथा लाखों का दान भी बेकार है | यह प्रवचन आज स्थानक सेक्टर 18 में चातुर्मास के लिए विराजित संत श्री सौरभ मुनि जी म. नें  सुबह प्रार्थना के समय आये लोगों को दिए | उन्होंने आहवान किया कि चातुर्मास में सभी जप, तप तथा दान के लिए अपनी – अपनी भावना बनाएं जिससे अपना एवं समाज के अन्य वर्गों का भी कल्याण हो | जैन स्थानक में आज रविवार को पचरंगी समायिक कार्यक्रम का आयोजन होगा | सभा के प्रचार सचिव नीरज जैन ने बताया कि कल 7 नवंबर से प्रतिदिन प्रवचन का समय सुबह 8-15 से 9-15 होगा |

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