गुरू पूर्णिमा पर विशेष: गुरू बिना न ज्ञान मिले ना मिले भगवान- मंजू मल्होत्रा फूल

0
2720

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। इस दिन  चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। वे संस्कृत के महान विद्वान थे। अठारह पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी ही हैं। महाभारत महाकाव्य भी उन्हीं की देन है। वेदों को विभाजित करके जनमानस के अध्ययन के लिए सरल बनाने का श्रेय भी इन्हें ही जाता है। पूरे भारतवर्ष में यह पर्व बड़े धूम-धाम एवं श्रद्धा से मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में गुरु का सर्वश्रेष्ठ स्थान है। गुरु को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है। गुरु पूर्णिमा बेहद खास दिन है। इस दिन गुरुओं की पूजा की जाती है। गुरु अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है तथा सही मार्ग पर जीवन को बढ़ाता है। गुरु की पूजा इसलिए भी की जाती है क्योंकि गुरु की कृपा के बिना इंसान कुछ भी  हासिल नहीं कर सकता। गुरु के बिना ज्ञान और भगवान दोनों की ही प्राप्ति असंभव है। गुरु की महिमा अपरंपार है। हमें इस दिन को धूमधाम से मनाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी गुरु और शिक्षक का महत्व जाने और अपने गुरु का सम्मान करें ।

LEAVE A REPLY

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.