हमें चाहिए फ्री की पेंशन इसलिए कोई तो करवा दो एक्रेडिटेशन। किसी राज्य में तो लगेगा दाव हम पाएंगे फ्री का माल। बस यही मंत्रा लिए आजकल कुछ पत्रकार मारे-मारे फिर रहे हैं।

जब से पंजाब सरकार ने वरिष्ठ पत्रकारों के लिए पेंशन का एलान किया है तब से एक्रेडिटेशन के लिए होड़ एक बार फिर शुरू हो चुकी है। हरियाणा सरकार ने पहले ही पेंशन तय कर दी थी और अब पंजाब सरकार की और से भी पत्रकारों के लिए पेंशन तय की गई है। अब इसका यह असर हुआ है कि जिन पत्रकारों को एक्रेडिटेशन से कोई खास फर्क नहीं पड़ता था अब वे भी इस लाइन में लग गए हैं।

चंडीगढ़ के पत्रकारों में भी लगी दौड़

पेंशन के एलान के बाद से अब चंडीगढ़ के कुछ पत्रकार व कुछ अखबार भी पंजाब या हरियाणा से अपनी एक्रेडिटेशन करवाने की दौड़ में लग गए हैं। इन्होंने डीपीआरओ, पंजाब/हरियाणा के एडिटरों, ब्यूरो चीफ आदि के चक्कर काटने शुरू किए हुए हैं। यह हर दूसरे दिन उनसे रिक्वेस्ट करने पहुंच जाते हैं कि किसी तरह से इनकी एक्रेडिटेशन पंजाब या हरियाणा से हो जाए।

इतना ही नहीं कुछ तो यह विनती भी करने लगे हैं कि यदि राज्य से एक्रेडिटेशन न मिले तो किसी डिस्ट्रिक्ट से ही इनको एक्रेडिटेशन दिलवा दी जाए। इसका कारण है कि डिस्ट्रिक्ट से 20 साल तक एक्रेडिटेशन मेंटेन करने वाले को भी पेंशन मिलेगी।

चुनाव व आईपीएल के लिए अब आई-कार्ड की लड़ाई

जैसे-जैसे चुनाव और आईपीएल पास आ रहे हैं वैसे-वैसे मीडिया आई-कार्ड के लिए लड़ाई शुरू हो चुकी है। जिनके आई-कार्ड नहीं हैं वे तो लगे हैं अपने एचआर के चक्कर लगाने में। इसके साथ ही फ़र्ज़ी पत्रकारों ने भी अपने फ़र्ज़ी आई-कार्ड बनवाने शुरू किए हुए हैं। और जिनका कुछ नहीं बन रहा है वे छोटे अखबारों के मालिकों के चक्कर लगा रहे हैं कि किसी तरह उनको आई-कार्ड जारी कर दिया जाए। इसके लिए पूरी चमचा-गिरी चल रही है। आखिर सवाल पैसे बनाने और मैच देखने का जो है।

अब तक तो शहर में ऐसे कई पत्रकार हुआ करते थे जिनको किसी आई कार्ड से कोई फर्क नहीं पड़ता था, जिनके लिए एक्रेडिटेशन ज़रूरी नहीं हुआ करती थी। लेकिन अब अचानक सबके हाव-भाव बदल से गए हैं। एक दम से कार्ड भी जरूरी हो गए और एक्रेडिटेशन के लिए तो चमचागिरी पूरी तरह से चालू है।

अब इनको शायद यह नहीं पता है कि एक्रेडिटेशन देने वाले भी कोई बेवकूफ नहीं बैठें हैं। वे भी आपकी काबिलियत, योग्यता और अधिकार-क्षेत्र देखकर ही कोई फैंसला लेंगे।

यहाँ वहाँ दौड़ने से बेहतर है भाई, अपने खुद के क्षेत्र में ऐसा काम करो कि खुद ही आपको एक्रेडिटेशन के लिए चुन लिया जाए।

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