चंडीगढ़

3 सितंबर 2017

दिव्या आज़ाद

कोर्ट के आदेशों के बाद चंडीगढ़ पुलिस ने मजबूरी में एक्साइज डिपार्टमेंट के तीन टॉप आॅफिशियल्स के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज कर ली है। लेकिन उनकी गिरफ्तारी करने में पुलिस गुरेज कर रही है। मामले में पीड़ित  लिक्यूर वर्ल्ड वेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर कमलजीत सिंह बजाज का आरोप है कि पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर अपनी ड्यूटी निभाने के बजाए उनकी गिरफ्तारी से बचने के लिए समय दे रही है। जिससे आरोपी हाईकोर्ट से मामले में जमानत ले गिरफ्तारी से बच सके। शायद इस लिए अफसरों के नाम पते कांटेक्ट नंबर और सरकारी मुलाजिम होने के बाद भी अब तक पुलिस को आरोपी ही नहीं मिले। एफआईआर दर्ज करने के 36 घंटे बाद अफसरों से गिरफ्तारी ना किए जाने की वजह के पूछे जाने पर अधिकतर अधिकारी टालमटोल करते नजर आए। हलांकि मामले को तूल पकड़ता देख वरिष्ठ अधिकारी आरोपियों को नोटिस भेज इन्वेस्टीगेशन ज्वाइन कराने की प्रोसेस शुरू करने की बात कह रहे है। लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि जब अपराध एक जैसा हो तो कानूनी प्रक्रिया के पुलिस दो मानक क्यों। आखिर पुलिस ने अब तक चोरी के मामलों और अपराधिक षडयंत्र के मामलों में कितने लोगों को गिरफ्तारी के बजाए इन्वेस्टीगेशन ज्वाइन करने के नोटिस भेजे है।

मुलजिमों की गिरफ्तारी के बजाए बैल का इंतजार..

कोर्ट के निर्देशों पर दर्ज की गई एफआईआर के बाद भी पुलिस के हाथ आरोपियों के गिरेबान तक पहुंचने में छोटे साबित हो रहे है। मामले में शुक्रवार को 11.55 पर एफआईआर दर्ज होने और खबर भेजे जाने तक करीब 36 घंटे बाद भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई। पीड़ित का आरोप है कि पुलिस जानबूझकर आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं डाल रही है। इसकी बड़ी वजह यह है कि शनिवार ,रविवार छुट्टी होने के चलते आरोपी हाईकोर्ट से बैल नहीं ले सकते। ऐसे में यदि उनकी गिरफ्तारी की जाती है तो साहब लोगों को जेल जाना पड़ेगा। इस लिए पुलिस पूरा समय दे रही है कि गिरफ्तारी होने से पहले आरोपी हाईकोर्ट से बैल ले।

क्या है मामला

गौरतलब है कि लिक्यूर वर्ल्ड वेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर कमलजीत सिंह ने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया था कि किस तरह आरोपी अधिकारी पूरे षडयंत्र के तहत उन्हें परेशान करते आ रहे है। उन्होंने याचिका में घटना के दिन के बारे में जिक्र करते हुए बताया था कि 27 जून 2017 को  क्लाजिंग के समय रात 10.45 पर ईटीओ रमेश भटेजा, रविंद्र कौशिक और आरएल चूग के डायरेक्शन पर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित उनके लिक्यूर वेंडर शॉप पर पहुंचे थे। जहां उन्होंने उनके स्टॉफ और उन्हें डराते हुए झूठा केस दर्ज करवा देने की धमकी देते हुए इलीगल चालान करने का प्रयास किया। बजाज ने बताया कि जब उनका व्हीकल स्टॉक लेकर उनके इंडस्ट्रियल एरिया स्थित शॉप पर लैबर को लेने आ रहा था। इस दौरान ईटीओ रमेश भटेजा ने स्टॉक लेकर आ रहे वाहन चालक से पेपर छिन लिए और सभी कागजात पूरे होने के बाद भी डराने लगे कि स्टॉक अवैध है। जबकि उनके पास प्रॉपर परमिट और ट्रांस्पोर्ट के पास थे। जिन्हें लेकर वह मौके से अपनी कार में लेकर निकलना चाह रहे थे। जिस दौरान ईटीओ भटेजा जब स्टॉफ को डरा धमका रहे थे तो पूरा वाक्या वहां मौजूद स्टॉफ ने रिकार्ड कर लिया। पीड़ित के मुताबिक कोर्ट में सबमिट किए गए विडियो में नजर आ रहा है कि ईटीओ भटेजा और उस दिन के पूरे प्रकरण को खोलकर रख दिया। जिस पर कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए इंडस्ट्रियल एरिया थाना पुलिस से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी थी। मामले में पुलिस की ओर से तैयार की गई स्टेट्स रिपोर्ट सबमिट की गई थी। कोर्ट ने स्टेट्स रिपोर्ट ,बयानों और अन्य पक्षों को सुनने के बाद चंडीगढ़ एक्साइज डिपार्टमेंट के पूर्व एईटीसी रविंद्र कौशिक समेत तीन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने पाया कि रमेश भटेजा अपनी अथॉरिटी का गलत इस्तेमाल करते हुए चोरी कर रहे है। कोर्ट ने कहा कि मामले में लगाए गए आरोप और प्रारंभिक तौर पर सामने आए तथ्यों से यह लगता है कि  रविंदर कौशिक और आरएल चूग भी इस षडयंत्र का हिस्सा है। जिसके अधार पर कोर्ट ने इंडस्ट्रियल एरिया थाना पुलिस को यह निर्देशित किया है कि रमेश भटेजा के खिलाफ आईपीसी की सेक्शन-379,166 और रविंदर कौशिक और आरएल चूग के खिलाफ आईपीसी की सेक्शन-120 बी के तहत केस दर्ज अदालत में एफआईआर की कॉपी प्रस्तुत करे।

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