फ़र्ज़ी पत्रकारों के इशारों पर नाचते पीआर

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पिछले 2 हफ्ते से हमारा कॉलम किसी कारण से नहीं लिखा गया और जैसा कि हमने वादा किया था हम एक जबर्दस्त रोचक कॉलम लेकर एक बार फिर हाज़िर हुए हैं।

आज हम बात करेंगे चंडीगढ़ के पीआर लोगों की। ये पीआर ही हैं जिन्होंने लोगों को मीडिया से रूबरू करवाने का ज़िम्मा लिया हुआ है। पीआर का काम होता है मीडिया को सही जानकारी देकर अपने क्लाइंट से बातचीत करवाना। लेकिन पिछले कुछ समय से शहर के कई लोगों ने पीआर में कदम रख कर इसके स्तर को इतना नीचे गिरा दिया है कि इस प्रोफेशन का नाम बदनाम हो चुका है।

पैसे कमाने के लिए लोग किसी भी बंदे को पकड़ कर उसे उसकी खबर लगवाने का झांसा देकर पीआर बन बैठते हैं। कुछ तो इतने गए-गुज़रे हैं जो 200-500 रुपए लेकर भी खबर लगवाने का दावा ठोकते नज़र आते हैं।
इन्होंने तो पीआर प्रोफेशन का नाम बदनाम किया ही है लेकिन पहले से विख्यात पीआर भी अब इस प्रोफेशन पर धब्बा बनते जा रहे हैं।

पीआर के क्लाइंट की डिमांड होती है ज़्यादा से ज़्यादा मीडिया को कांफ्रेंस में बुलाना और सभी अखबारों में ख़बर लगना। यदि ऐसा न हो तो कई क्लाइंट पीआर को उनकी फीस का भुगतान तक नहीं करते हैं।

पत्रकारों का शेड्यूल इतना व्यस्त होता है कि वे हर कॉन्फ्रेंस में नहीं जा सकते। आजकल ज़्यादातर पत्रकार पीआर को प्रेस नोट/रिलीस भेजने के लिए कह देते हैं। अगर कोई खास कॉन्फ्रेंस हो तो बड़े अखबार वाले पत्रकार फ़ोन पर इंटरव्यू कर लेते हैं। इससे पीआर की दिक्कत बढ़ जाती है और क्लाइंट पूछता है कि मीडिया कहां है।

अब इस मौके पर इनको याद आते हैं फ़र्ज़ी पत्रकार या ख़ुद को पत्रकार कहने वाले जालसाज लोग। भीड़ दिखाने के चक्कर में अब अलाम यह हो चुका है कि बहुत से बड़े पीआर भी ऐसे फ़र्ज़ी लोगों के सामने हाथ जोड़ते हुए नज़र आते हैं। इन्हें अपने इवेंट में बुलाने के लिए पीआर इनके तरले करने तक से नहीं कतराते।

यहां तक कि कुछ पीआर तो इतने नीचे गिर चुके हैं कि इन फ़र्ज़ी लोगों की ऊंची आवाज़ में बोली गई गलत बातें तक सुन लेते हैं और नकली लोगों के चक्कर में अखबारों के पत्रकारों को नज़रअंदाज़ करते नज़र आते हैं।
इसके बाद बात आती है कवरेज की। अख़बारों में आजकल खबर को केवल लिमिटेड स्पेस मिलती है जिसके चलते क्लाइंट नाराज़ हो जाते हैं। वहां काम आते हैं ये फ़र्ज़ी पत्रकार जो अपनी वेबसाइटों या ब्लॉग में इनकी लिखी प्रेस रिलीस 100% कॉपी पेस्ट कर देते हैं। इसके चलते पीआर इनको अखबार के बड़े पत्रकारों से भी ऊपर की इज़्ज़त देने लगे हैं।

मतलब पैसे के लिए अब पीआर भी नकली पत्रकारों के इशारों पर नाचते दिख रहे हैं। जैसा ये फर्ज़ीवाड़ा करने वाले नकली पत्रकार बोलते हैं पीआर करते जाते हैं। इन नकली पत्रकारों ने पत्रकारिता का स्तर तो नीचे गिराया ही था अब इनके चलते पीआर प्रोफेशन का स्तर भी गिर गया है।

अंत में हम बस इतना ही कहना चाहेंगे… पीआर बाबू जब आप एक असली पत्रकार को फर्ज़ीवाड़ा करने वाले लोगों के बराबर बैठाकर अपने क्लाइंट से इंट्रोड्यूस करवाएंगे तो आपको क्या लगता है कि आपके इवेंट में असली पत्रकार आने से मना क्यों कर देते होंगे? पैसे के लिए बिकना छोड़ें और अपने प्रोफेशन और अलसी पत्रकारों की इज़्ज़त करना सीखें… फिर खबर भी पूरी लगेगी और असली पत्रकार भी इवेंट में नज़र आने लगेंगे।

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