रूपक कुलकर्णी की बंासुरी की मधुर धुन एवं मघुुमिता एंव समूह केे कत्थक नृत्य की झंकार से सजा प्राचीन कला केन्द्र सम्मेलन का तीसरा दिन

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चंडीगढ़
20 मार्च 2017
दिव्या आज़ाद
प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित 47वंे नृत्य एवं संगीत सम्मेलन का आज तीसरा दिन है। इस सम्मेलन के तीसरा दिन केन्द्र के चैयरमैन श्री एसण्केण्मोंगाएरजिस्ट्ार डाॅण्षोभा कौसर और सचिव श्री सजल कौसर भी मौजूद रहे।
आज के कार्यक्रम में जहां एक ओर मुुम्बई के मषहूर बांसुरी वादक रूपक कुलकर्णी ने अपने बांसुरी वादन से दर्षकों का मन मोहा वहीं दूसरी ओर कोलकाता की प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना सुश्री मघुुमिता राए ने कत्थक नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति देकर दर्षकों की खूब तालियां बटोरी।
पंडित रूपक कुलकर्णी युवा पीढ़ी के ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने बांसुरी वादक की अलग षैली विकसित की। पंडित रूपक कुलकर्णी पंण् हरि प्रसाद चैरसिया के षिश्य हैं। रूपक ने अपने कार्यक्रम की षुरूआत राग किरवानी से की। इन्होंने इसमें आलापएजोड़एझाला का सुंदर प्रदर्षन किया। इसके पष्चात मध्य लय एक ताल का मधुर प्रदर्षन किया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए रूपक ने राग द्रुत तीन ताल का मधुर प्रदर्षन किया। जिसे दर्षकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम का समापन रूपक कुलकर्णी ने राग पहाड़ी राग पर आधारित एक धुन प्रस्तुत करके किया।उनकी मधुर स्वर लहरियों से दर्षक झूम उठे और इस यादगारी षाम को चंडीगढ़ के संगीत प्रेमियों ने खूब सराहा। इनके साथ तबले पर देबाषीष अधिकारी ने बखूबी संगत की।
समूह कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में मघुुमिता राए एंव समूह जो कि एक विख्यात कत्थक नृत्यांगना है ने कत्थक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति देकर संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मघुुमिता युवा पीढ़ी की सधी हुई नृत्यांगना है। मघुुमिता गुरू राम गोपाल मिश्रा की षिश्या हैं। मघुुमिता ने अपने कार्यक्रम की षुरूआत गणेष वंदना से कि। वंदना के बोल ष्ष् गणपति विध्न हरण गजाननश् प्रस्तुत करके मघुुमिता ने दर्षकों की तालियां बटोरी। इसके पष्चात मघुुमिता ने धमार प्रस्तुत किया। इसके पष्चात मघुुमिता ने सूरदास भजन ष्प्रीत करी काहू ष्ष् प्रस्तुत किया। इस भजन से मघुुमिता के अभिनय और नृत्य का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। इस नृत्य को देखकर दर्षक मंत्रमुग्ध हो गए । उपरांत मघुुमिता एंव समूह ने षुद्ध पारम्परिक कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन मघुुमिता एंव समूह ने लास्य तांडव से किया और अभिनय पक्ष पर अपनी मजबूत पकड़ को दर्षाया और दर्षकों की खूब वाहवाही बटोरी। इस नृत्य को देखकर दर्षक मंत्रमुग्ध हो गए।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि एवं गणमान्य चैयरमैन, रजिस्ट्ार एवं सचिव प्राचीन कला केन्द्र ने कलाकारों को सम्मानित किया
सचिव श्री सजल कौसर ने अगले दिन के कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कल पंडित सलिल भटट अंकित भटट का वीणा एंव सितार वादन एंव जयपुर घराने की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना गुरू षोभा कौसर अपने नृत्य द्वारा दर्षकों का मनोरंजन करेंगी।

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