चंडीगढ़

1 मार्च 2019

विनोद कुमार

‘‘छोटे और सीमांत किसानों’’ के लिए उच्च गुणवत्ता के कृषि उपकरण की आईएसओ 9001ः2015 प्रमाणित उत्पादक एवं थोक वितरक, किसानक्राफ्ट लिमिटेड ने आज कई स्थानों पर मौजूदा खेती प्रणालियों में उर्वरकों और कीटनाशकों का आवश्यकता से अधिक उपयोग करने के ज्वलंत मुद्दे को संबोधित किया। खासतौर से सिंथेटिक उर्वरकों का आवश्यकता से अधिक उपयोग कई क्षेत्रों में बड़ी समस्या है, जिस पर लक्ष्य साधते हुए किसानक्राफ्ट ने कृषि में ‘पैकेज ऑफ प्रैक्टिस’ की जागरूकता और किसानों की शिक्षा में संसाधन अलग से रखने की योजना की घोषण की।
देश के सबसे मेकैनाइज्ड राज्यों में से एक होने पर पंजाब की प्रशंसा करते हुए किसानक्राफ्ट ने अपनी विशेषज्ञता की पेशकश की, ताकि उर्वरकों का उपयोग कम हो और फसल अच्छी हो। कृषि उपज को इनपुट, मेकैनाइजेशन और पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेस का आदर्श सम्मिश्रण चाहिये। किसानक्राफ्ट का लक्ष्य खेत पर प्रदर्शन के माध्यम से किसानों को यह जानकारी देना है। वर्ष 2018 में यह 9 राज्यों में चलाया गया और इसे अच्छी सफलता मिली, और किसानक्राफ्ट भविष्य में भी किसानों को शिक्षित करता रहेगा। स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित सही पैकेज ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) पर ज्ञानवर्द्धन करने से इस पहल द्वारा समान या अधिक उपज के साथ गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न करने की चुनौती को सम्बोधित किया जाएगा। इस पहल के एक हिस्से के तौर पर मॉडल खेत स्थापित किये जाएंगे, जहॉं उर्वरकों के अधिकतम उपयोग तथा छोटे कृषि उपकरणों के सही उपयोग की जानकारी दी जाएगी। फोकस फार्मर गु्रप्स इस पहल का हिस्सा हैं, मॉडल खेतों में जाएंगे और पंजाब में फसलों के लिये सही उपकरण तथा उर्वरक मात्रा के उपयोग का अनुभव लेंगे। मॉडल खेत में क्षेत्र की प्रमुख फसलें होंगी और यह शुरूआत में चावल पर केन्द्रित होगा।

किसानक्राफ्ट के प्रबंध निदेशक श्री रविन्द्र अग्रवाल ने कहा ,‘‘पंजाब देश में अनाज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। कृषि अभ्यास के तौर पर रसायनों और उर्वरकों का आवश्यकता से अधिक उपयोग अब कृषि को हानि पहुॅंचा रहा है। इसमें बदलाव जरूरी है। इसमें किसानों की शिक्षा, जागरूकता और मॉडल खेतों की बड़ी भूमिका होगी। इस पहल के साथ किसानक्राफ्ट का लक्ष्य राज्य में कई कार्यशालाओं का आयोजन करने का है, ताकि पंजाब के ‘‘छोटे और सीमांत’’ किसानों को सही उपकरण और उर्वरकों की सही मात्रा के लाभ और प्रक्रिया समझने में मदद मिले, जैसा राज्य के पैकेज ऑफ प्रैक्टिस में अनुशंसित है।’’

उदाहरणों में इंटर-कल्टिवेटर या रोटरी-वीडर संचालित सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल शामिल है, जो बुआई के समय बीजों और उर्वरक को मृदा में सही जगह और गहराई में रखता है। रसायन पौधों के पास होते हैं, जिससे उर्वरक की क्षमता बढ़ जाती है और अधिक उपयोग से बचा जा सकता है। मिस्ट डस्टर भी एक उदाहरण है, जो उर्वरक के महीन कणों और कीटनाशक को लक्षित सतह पर पहुॅंचाता है। दानेदार उर्वरक, जैसे यूरिया और डीएपी के लिए स्प्रेयर उपलब्ध हैं। इस उपकरण का उपयोग उर्वरक के दूसरी बार उपयोग में किया जा सकता है।

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