एक लंबे अरसे बाद आज फिर हम लेकर आए हैं आप सबका फ़ेवरेट इशारों इशारों में। वक़्त की कमी के चलते हमने सोचा कि चलो करने दो मीडिया वालों को मनमानी। लेकिन हमें क्या पता था कि हम लिखना कम कर देंगे तो ये एक लेवल नहीं बल्कि कई लेवल नीचे गिर जाएंगे।
आज की बात है ऐसे ही एक पत्रकार के बारे में जिसने गिरने की हदें पार कर रखी हैं। लंबे समय से मीडिया में होने के बावजूद यदि पत्रकार ऐसी हरक़तें करें तो अपने साथ-साथ वे प्रोफेशन की भी धज्जियां उड़ा देते हैं।
पत्रकारों की कुछ ओछी हरकतों के कारण पीआर वालों के लिए काम करना काफ़ी मुश्किल हो चुका है। खुद एक पत्रकार होने के नाते मुझे पत्रकारों की हर सिचुएशन के बारे में बारीकी से पता है। मैं खुद भी कभी-कभी पीआर करती हूं इसलिए दोनों पहलू जानती हूं और मैं यह दोनों पहलू समझने के बाद ही लिख रही हूं। (इसलिए मुझे ये सब पढ़ने के बाद यह मैसेज तो न भेजें कि पत्रकार अपना खर्चा कैसे चलाएं)
बात है एक ऐसे पत्रकार कि जो खुद को इतना एंटाइटिल्ड समझता है कि अब उसके द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंचने की कीमत भी लगा दी गई है। हुआ यूं कि एक पीआर ने उन्हें फ़ोन करके अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आने का आग्रह किया। इस पर उनका आगे से जवाब आया कि ठीक है आ तो जाते हैं लेकिन पेट्रोल के पैसे लगेंगे। हम अपना पेट्रोल लगाकर तुम्हारे इवेंट में इतनी दूर क्यों आएं अगर पैसे दोगे तो आ जाएंगे।
पीआर को लगा कि शायद वो मज़ाक कर रहे हैं क्योंकि सालों पुरानी जान-पहचान है। इसलिए पीआर ने भी आगे से मज़ाक में कह दिया कि ठीक है आ तो जाओ ले लेना। लेकिन पीआर को झटका तब लगा जब आते ही पत्रकार ने सबसे पहले हाथ फैलाकर बोला तेरे कहने पर आया हूँ अब मेरे पेट्रोल के पैसे दे। पीआर ने बोला पहले आप कॉन्फ्रेंस तो अटेंड कर लीजिए। जिस पर आगे से जवाब आया कि वो होती रहेगी पहले मेरे पेट्रोल के पैसे दो।
अब क्या था मज़बूरी में पीआर को पैसे देने पड़े। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कितने पैसे? केवल 200 रुपए। मात्र 200 रुपए के लिए आपने अपने पत्रकार होने पर और पत्रकारिता पर कलंक लगवा लिया? अब आपको इस में ट्विस्ट बताते हैं।
जिस दिन यह वाकया हुआ उससे कुछ ही दिन पहले इस पत्रकार ने नई गाड़ी खरीदी थी वो भी कम से कम 7-8 लाख की। अगर आपके पास गाड़ी लेने के पैसे हैं तो क्या 200 रुपए नहीं हैं पेट्रोल डलवाने के? और इस तरह यदि सभी पत्रकार करने लगे तो कैसे चलेगा? यहाँ बात भी ऐसे व्यक्ति की हो रही है जो पिछले कई वर्षों से मीडिया में है। उसके बाद भी आपको इस प्रकार अपने प्रोफेशन की इज़्ज़त उछालते हुए शर्म नहीं आई?
मैं यह बात मानती हूं कि पीआर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर पैसे कमाते हैं। लेकिन वह उनका सोर्स ऑफ इनकम है, जिस प्रकार हमारा सोर्स है या तो किसी आर्गेनाइजेशन के लिए काम करके सैलरी लेना, या एडवर्टिजमेंट या बिज़नेस की पेड न्यूज़। लेकिन इस तरह से इवेंट में आने के लिए पेट्रोल के 200 रुपए मांगना बहुत ही ओछी हरकत है।
मैं पिछले 8 वर्षों से अपनी न्यूज़ वेबसाइट खुद चला रही हूं। खरड़ से इवेंट में आती-जाती हूँ। मेरी कैब का एक दिन का खर्चा इतना हो जाता होगा जितना शायद कई पत्रकारों का 3-4 दिन के पेट्रोल का होता होगा। लेकिन आज तक मैंने कभी किसी पीआर को नहीं बोला कि मेरी कैब का खर्चा दो, मुझे पैसे दो या मैं तब आउंगी जब आप मुझे कैब करके देंगे। क्योंकि मीडिया में आने से पहले ही मैंने समझ लिया था कि एक पत्रकार के क्या काम और जिम्मेदारी होती है।
हमें प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुलाया जाता है जिसमें ज़्यादातर हमें खाना, स्नैक्स और गिफ़्ट तक देकर हमें सम्मान दिया जाता है। इतना बहुत नहीं था कि अब पत्रकार 200-300 पट्रोल का भी लेंगे फिर बाद में ख़बर लगाते हुए उसकी अलग से भी कीमत लगाएंगे क्या? न्यूज़ लग रही है या नीलामी हो रही है कि इसकी इतनी वैल्यू?
माना कुछ न्यूज़ प्रमोशनल होती हैं और हमें भी अपने प्लेटफार्म के खर्चे निकालने हैं। लेकिन 200 रुपए से चल जाएगा आपका न्यूज़ प्लेटफॉर्म? ऐसी हरकतें भी न करें कि लोग आपको बुलाना तो दूर उल्टा आप पर हँसना शुरू कर दें।
मैंने हज़ार बार लिखा और बोला है कि हर प्रोफेशन की एक मर्यादा होती है। आप यदि वह मर्यादा बनाकर नहीं रख सकते तो आपको उस प्रोफेशन में होने का हक भी नहीं है!