“याद”

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कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो याद हमेशा रहती हैं।
समय बदलता रहता है पर ये पास हमेशा रहती हैं।
कोई बात सरसरी करता है तो कुछ का कुछ बन जाता है,
कहने ओर समझाने वाले में फर्क कितना बड़ जाता है।
मुँह से निकली बात को देखो कोई केसे आगे पहुंचाता है,
बिन बात के घर में बैठे ही बैठे कैसे बतन्गढ़ बन जाता है।
जाने में या अनजाने में कुछ बातें ऐसी  हो जाती हैं,
व्यवहार किसी के साथ हुए की यादें बस रह जाती हैं।
कोई रिश्तों को एहमियत देते हैं, कोई बोझ इसे बताते हैं,
छोटी छोटी बातों के भी कितने मतलब निकाले जाते हैं।
अपने बज़ुर्गों को भी बच्चे जब अपने तजुर्बे गिनवाते हैं ,
अपने दावों के एवज में वो जब डिग्रियां फिर दिखाते हैं।
जो बातें कभी भी सोची ना हों जब वो बातें हो जाती हैं,
भुलाना चाहें बातों को, पर रह रह कर याद वो आती हैं।
कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो याद हमेशा रहती हैं।
समय बदलता रहता है पर ये पास हमेशा रहती हैं।
बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़

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