साप्ताहिक संगीतमय विश्वकर्मा महापुराण कथा का आयोजन

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चंडीगढ

12 जुलाई 2022

दिव्या आज़ाद

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर रामदरबार  स्थित श्री विश्वकर्मा मंदिर में में चल रही साप्ताहिक संगीतमय श्री विश्वकर्मा महापुराण कथा में कथा व्यास श्री विश्वकर्मा दास दर्शन धीमान ने भगवान विश्वकर्मा जी के वामन भगवान की कथा सुनाई। और भगवान के भजनों को गाकर  श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।


इस अवसर पर वामन भगवान की सुंदर झांकी उपस्थित श्रद्धालुओं को दिखाई गई, जिसने सभी की आकर्षित किया या यूं कहें वामन भगवान की झांकी कथा की बीच आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस अवसर पर मधुर भजन गाए गए और भगवान का गुणगान किया गया।कथा व्यास श्री विश्वकर्मा दास दर्शन धीमान ने इस अवसर पर वामन भगवान की कथा का श्रवण करवाते हुए श्रद्धालुओं को बताया कि समुंद्रमंथन से निकले अमृत को पीकर देवों ने दैत्यराज बली से युद्धकर अपना स्वर्ग जब वापिस पा लिया तब दैत्यराज बली ने अपने गुरु शुक्राचार्य जी की सेवाकर उनके आशीर्वाद से बिना युद्ध करे आदिनारायणविश्वकर्मा जी की भक्ति से एक महान यज्ञ किया जिसकी पवित्र आहुतियों की सुगंध ने पाताल पृथ्वी व सातो आकाश को मोहित कर दिया और स्वर्ग का शासन पाया तब देवों को दुबारा स्वर्ग दिलाने के लिये देवमाता आदिति ने पयोव्रत से अपने गर्भ से वामन भगवान को जन्म दिया जो एक ब्रह्मण के रूप में राजा बली के यज्ञ में दान मांगने गये जहां राजा बली ने उनकी इच्छानुसार तीन पग भूमि दान देने का वचन दिया, तो वामन भगवान अपना विराट रूप धारण कर अपने दो पग में ही बली का सारा राज्य नाप लिया, तब भगवन ने कहा मैं अपना तीसरा पग कहां रखूं तब राजा बली ने कहा प्रभु जी ये मेरा शरीर आपका ही दिया है आप अपना तीसरा पग मेरे सिर पर रख दो, बली का समर्पण देख प्रभु ने कहा तू मेरा परमभक्त है मैं तुम्हें सुतललोक देता हुं इस प्रकार दैत्यकुल में जन्म लेकर बली प्रभु का परम भक्त हुआ ओर  भक्ति  के फलस्वरूप उसने विश्व रचियता भगवान विश्वकर्मा जी द्वारा बनाया स्वर्ग से भी सुदंर सुतल लोक को प्राप्त कर भगवान का प्यारा हुआ। उन्होंने बताया कि यह कथा संदेश देती जब एक दैत्य भगवान को सब कुछ अर्पित कर सकता है तो क्या हम मानव होकर भगवान को सम्पर्ण नहीं कर सकते।


इस अवसर पर मंदिर के प्रधान रामजी दास ने बताया कि 13 जुलाई  को मंदिर में 10 बजे सुबह भव्य हवन किया जाएगा। तथा पूर्णाहुति के बाद कथा संम्पन्न होगी। जिसके उपरांत विशाल भंडारा किया जाएगा।

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