शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल नारायण सिंह की शहादत के 75 वर्ष पूरे होने पर होंगे कार्यक्रम

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पंचकूला

17 जून 2022

दिव्या आज़ाद


एक ईंट शहीदों के नाम अभियान की टीम ने शुक्रवार को हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता से मुलाकात की, जिन्होंने शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल नारायण सिंह की शहादत के 75 वर्ष पूरे होने पर उनको श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल नारायण सिंह का सेल्फी पोस्टर भी लांच किया, जिसे संस्था की तरफ से आयोजित किये जाने वाले हर कार्यक्रम में लगाया जायेगा। इस पोस्टर के साथ हर कोई अपनी सेल्फी ले सकेगा, खासकर युवाओं के लिए पोस्टर लांच किया गया है, ताकि उन्हें देश के लिए जान न्योछावर करने वाले शहीदों के बारे में जानकारी मिल सके। इस मौके पर अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजीव राणा, महासचिव अनु पसरीचा, डॉक्टर सतीश डडवाल और डॉक्टर वीणा सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि देश के नाम अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीदों के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि संस्था को ऐसे अभियान के लिए भविष्य में जिस तरह के भी सहयोग की भी जरुरत होगी, वह उसमें उनका साथ देंगे और ऐसे कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे।


संस्था के संयोजक संजीव राणा ने कहा कि शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल नारायण सिंह की शहादत के 75 वर्ष पुरे होने वह कई कार्यकम्रों का आयोजन करने जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत शुक्रवार को हो गई है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग जगहों पर उनके नाम से पौधे लगाए जायेंगे। साथ ही एक शहीद स्मारक भी तैयार किया जायेगा।


लेफ्टिनेंट कर्नल नारायण सिंह के बारे में हम में से बहुत ही कम लोग जानते होंगे, क्योंकि वह सेना के उन वीर अफसरों में से एक थे, जिन्होंने अक्टूबर 1947 में सेना के लिए लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी थी। वह राज्य बल के सबसे बेहतरीन अधिकारीयों में से एक थे, जिन्हें ब्रिटिश के अंडर बर्मा ऑपरेशन के दौरान अपनी सेवाओं के लिए आर्डर ऑफ़ ब्रिटिश एम्पायर से भी सम्मानित किया गया था। अक्तूबर, 1947 आते-आते कश्मीर की फिजा इतनी जहरीली हो गई थी कि जब पाकिस्तान ने मजहबी नारों के साथ जम्मू-कश्मीर रियासत पर हमला कर दिया था, तब महाराजा का मुस्लिम सैन्यबल हथियारों के साथ एकाएक शत्रुओं के साथ हो गया था। उस समय रियासती सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल नारायण सिंह को उनके मुस्लिम सैनिकों ने मजहबी उन्माद में अन्य हिंदू सैनिकों के साथ निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया और पाकिस्तानी इस्लामी आक्रांताओं से जा मिले थे।

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