चंडीगढ़

2 अप्रैल 2018

दिव्या आज़ाद

नेशनल स्कूल आफ ड्रामा द्वारा चण्डीगढ़ में आयोजित किये जा रहे 8वें थियेटर ओलम्पिकस के दौरान हरियाणा कला परिषद् के उपाध्यक्ष श्री सुदेश शर्मा जी और चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से युवा कलाकारों के लिए रंगमंच दिग्गजों के साथ मास्टर क्लास और रूबरू कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में जब पंजाबी थियेटर के उत्थान और उसमें नयापन लाने की बात चलती है तो एक ऐसा नाम मन-मस्तिष्क में उभर कर आता है, जिसने थियेटर को सिर्फ नये आयाम ही नहीं दिये बल्कि हीनभावना से देखी जाने वाली पंजाबी शैली को देशों और विदेशों में भी पहंुचाया। वो नाम है लगभग चार दशकों से थियेटर की सेवा कर रहीं पंजाब की चुनिंदा महिला निर्देशकों में से एक पदमश्री नीलम मानसिंह चैधरी।
8वें थियेटर ओलम्पिकस के 14वें दिन राष्ट्रीय नाटय विद्यालय से स्नातक एंव डिपार्टमेंट आफ इंडियन थियेटर पंजाब यूनिवर्सिटी की मौजूदा प्रोफेसर नीलम मानसिंह जी ने बताया कि उनकी पैदाइश अमृतसर में हुई। पिताजी प्रख्यात डाक्टर थे तो उन्होनें घर में सबसे छोटी और केवल 6 साल की उम्र में पढ़ने लंडन भेज दिया और बाहरवीं की पढ़ाई कान्वेंट से करने नीलम जी फिर भारत वापिस आ गई।
बतौर नीलम जी पढ़ाई में बचपन से ही उनकी रूचि बहुत कम थी। बहन अक्सर उनके कम नंबर आने की शिकायत पिताजी से किया करती। पर कम अंकों को दरकिनार करते हुए अक्सर नीलम की पेंटिग और शौकिया अदाकारी को बढ़ावा दिया करते। और नीलम जी भी जानती थी कि कला सिर्फ शौकत कही ठीक थी जुनून की हद तक नहीं।
80 के दौर में चण्डीगढ़ आना हुआ। स्कूली दिनों के दौरान भारतीय रंगमंच के सबसे बड़े नामों में से एक अल्का जी साहब चण्डीगढ़ आये हुए थे, अपनी प्रस्तुति लेकर। नीलम जी को बैक स्टेज काम करने का भरपूर मौका मिला। बतौर नीलम उन्होनें प्रोफेशनल थियेटर को इतनी करीब से पहली बार देखा था। उस दिन बात समझ में आ गई कि अच्छे थियेटर के लिये अच्छा प्रशिक्षण बहुत जरूरी है। सपनों को जैसे नये पंख लग गये हों, उन्हें चण्डीगढ़ में आजादी की गंध आ रही थी। महिला के सोचने की आजादी घूमने की आजादी मंच पर बेबाक अपनी बात कहने की आजादी, अपने आप को प्रस्तुत करने की आजादी।
कुछ नाटक और वर्कशापस करने के बाद राष्ट्रीय नाटय विद्यालय में पहली ही बार में चयन हो गया पर अब अकेले दिल्ली जाने और रहने की चुनौती थी। पर सोचा फिर पता नहीं कल अल्का जी जैसे सरीखे दिग्गजों के साथ काम करने का मौका मिलेगा। बैग बांधा और पहुंच गई रंगमंच के मक्का राष्ट्रीय नाटय विद्यालय।
नीलम मानसिंह जी ने चण्डीगढ़ में रंगमंच को नये आयाम देने पर श्री सुदेश शर्मा जी को बधाई का पात्र बताते हुए कहा कि 30 दिवसीय नाटय उत्सव सोचना भी किसी सपने से कम नहीं है और श्री सुदेश शर्मा जी ने ये कर दिखाया।

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