आज हम आपके लिए एक बहुत ही दिलचस्प वाकिया लेकर आए हैं। पिछले कुछ समय से किसी कारणवश यह कॉलम होल्ड पर चला गया था। इसलिए अब हमारा फ़र्ज़ बनता है कि वापसी एक ताज़े व दिलचस्प टॉपिक से ही हो। पंजाबी में एक कहावत है कि “ना खेलांगे ना खेलन देयांगे, घुती विच मुतांगे”। इसका मतलब है कि ना तो खुद कुछ करेंगे ना ही किसी और को कुछ करने देंगे।

आज जिनके बारे में बात होने जा रही है वे लोग यही काम करते हैं। ना तो उन्होंने खुद कुछ काम करना होता है और वे लोग चाहते हैं कि दूसरे भी आगे न बड़ पाएं। हाल ही में ऐसा वाकिया हुआ है जो हमारी फील्ड के बहुत से लोगों को पर्सनली सुनने को भी मिला ही होगा।

एक पत्रकार फील्ड में अपना नाम बनाने की कोशिश कर रही है, धीरे-धीरे आगे बढ़ने का ट्राय कर रही है उसको कुछ लोगों ने परेशान करना शुरू किया। अब परेशान करना भी ऐसे कि वह अपना काम ही न कर पाए। जिस वेबसाइट के जरिए उसने अपनी पहचान बनाने की कोशिश शुरू की है उसको ही बंद कर दिया गया। अब अंदर की बात तो वे लोग ही जानें जिन्होंने उसकी वेबसाइट को बंद किया। लेकिन उसने इतनी कोशिश की अपनी वेबसाइट दुबारा चलवाने की पर उसको लगातार लारे ही मिलते रहे। अंत में अन्य पत्रकारों की सलाह पर जब उसने उन लोगों से प्रोफेशनल तौर पर बात करनी शुरू की तो उसको यह बोलकर डराने की कोशिश हुई कि जिन लोगों की बातों में आप आ रही हैं आपको बहुत भारी पड़ने वाला है।

मतलब यह हुआ कि अपना काम बंद करके बैठे रहो पर किसी की सही सलाह मत मानना। हम एक ऐसे प्रोफेशन का हिस्सा हैं जहां एक दूसरे की जरूरत कभी न कभी पड़ती ही रहती है। यह हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम अपने साथियों को सही सलाह दें, उन्हें रास्ता दिखाएं पर बहुत से लोग एक दूसरे से ईर्ष्या निकालने में ही व्यस्त हैं। ना तो वे खुद आगे बढ़ना चाहते हैं और ना ही किसी और को आगे बढ़ता देखकर खुश होते हैं।

अब आखिरकार उस पत्रकार ने अपनी वेबसाइट कहीं और से ठीक करवा तो ली है लेकिन ज़रा देखिए कि दूसरे लोग किस प्रकार किसी के काम को रोककर उसको परेशान करने में लगे हैं। सबसे बड़ी बात है कि ये वो लोग हैं जो स्वयंभू पत्रकार बनकर बैठे हैं। फील्ड में बात फैल जाने के बाद भी इन्हें रत्ती भर फर्क नहीं पड़ा कि अन्य पत्रकारों की नज़रों में हमारी क्या छवि जाएगी।

यदि हम खुद आगे न भी बढ़ पा रहे हों फिर भी हमें कोशिश करनी चाहिए कि जो लोग आगे जा रहे हैं उनका समर्थन करें चाहे जिस मर्ज़ी रूप में। इस प्रकार किसी को परेशान कर न तो हमारी तरक्की होने वाली है और न ही हमें कुछ हासिल हो सकता है। अब कुछ लोगों को यह सीधी सी बात पल्ले नहीं पड़ती है तो वे लगे रहते हैं खेल खेलने में।

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