Photo By Vinay Kumar
चंडीगढ़
25 अप्रैल 2017
दिव्या आज़ाद
पंजाब में लिंग आधारित भेदभाव के मामले के समाधान के लिए पहले से जारी प्रयासों को और तेज करते हुए पंजाब राज्य बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (पीएससीपीसीआर) और पंजाब राज्य महिला आयोग (पीएससीडब्ल्यू) के साथ एक राज्य स्तरीय जागरूकता अभियान को आज सीआईआई, चंडीगढ़ में शुरू किया गया। लिंग भेदभाव के साथ ही बच्चों की सुरक्षा के लिए भी लोगों में जागरूकता के लिए पूरे राज्य में जागरूकता का संदेश प्रसारित करने के लिए  वीडियो वैन अभियान की शुरुआत की।
श्री एस.के.संधू, एडीशनल चीफ सचिव, पंजाब सरकार, इस मौके पर मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित थे और उन्होंने छह मोबाइल कैरावैनों को राज्य के मुक्तसर, बठिंडा, मानसा और फाजिल्का जिलों के 550 गांवों में इस संदेश को प्रसारित करने के लिए रवाना किया गया। ये मोबाइल कैरावैन लोगों को ‘पहचान अलग, अधिकार एक’ का संदेश देंगे। इनोवेटिव अंदाज में डिजाइन की गई इन वैनों में आम लोगों को लिंग आधारित भेदभाव जैसे संवेदनशील मुद्दे के बारे में शिक्षित करने के लिए कई उपयोगी तकनीकों का उपयोग किया गया है। प्रत्येक वैन में एक फीचर फिल्म दिखाने का प्रबंध है जिसमें कन्या भू्रण हत्या की घटनाओं पर रिपोर्ट है और इसके साथ ही एक नुक्कड़ नाटक टीम भी होगी जो कि लोगों को लडक़ों और लड़कियों को समान समझते हुए उन्हें समान व्यवहार करने का संदेश देंगे।
सरकार और नागरिक समाज के संयुक्त प्रयासों की सराहना करते हुए श्री संधू ने कहा कि ‘‘सेव द चिल्ड्रन द्वारा शुरू किए गए इस अभियान से लिंग आधारित भेदभाव के मामले के समाधान संबंधी सरकारी प्रयासों को काफी अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। लिंग समानता को प्राप्त करने के हमारे उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए लोगों को शिक्षित और सूचित करना सबसे पहला कदम है।’’ श्री संधू ने कहा कि ‘‘अलग अलग माध्यम से लोगों को इस बारे में अधिक संवेदनशील बनाने की जरूरत है और साथ ही कानूनी माहिरों और कानून लागू करवाने वाली एजेंसियों को भी इस संबंध में अधिक संवेदनशील होना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि तथ्य ये है कि एक तरफ सरकार प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ लोगों को भी लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए अपनी सोच को बदलने की जरूरत है।’’
आयोजन के उद्देश्य के बारे में बताते हुए सेव द चिल्ड्रन से मिशेल बोमैन, डायरेक्टर, प्रोग्राम ऑपरेशंस  ने कहा कि ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि ये अभियान पंजाब के बच्चों और किशोरों को एक ऐसा मंच प्रदान करेगा, जिस पर वे लिंग समानता के बारे में अपनी चिंताएं और सुझावों को रख सकेंगे। लिंग आधारित भेदभाव को कम करना, भारत के लिए निरंतर विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और हमारे कार्यक्रम के माध्यम से हम ना सिर्फ समुदायों को लिंग आधारित भेदभाव के प्रति संवेदनशील कर रहे हैं बल्कि इसे कम करने के लिए भी नए कदमों की शुरुआत कर रहे हैं।’’
सुकेश कालिया, चेयरपर्सन और पीएससीपीसीआर, श्रीमति परमजीत कौर लांडरां, पीएससीडब्ल्यू, ने कार्यक्रम में अपने विभागों का प्रतिनिधित्व किया। सेव द चिल्ड्रन से मिशेल बोमैन, डायरेक्टर, प्रोग्राम ऑपरेशंस और जतिन मोंडर, डायरेक्टर प्रोजेक्ट, सेव द चिल्ड्रन भी इस मौके पर मौजूद थे। अमेरिकी दूतावास से नॉर्थ इंडिया डायरेक्टर जोनाथान केसलर भी कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर मौजूद थे।
अमेरिकी दूतावास ने भी लिंग आधारित हिंसा और इस नए कार्यक्रम की शुरुआत में सहायता की। अमेरिकी दूतावास से नॉर्थ इंडिया डायरेक्टर जोनाथान केसलर ने इस मौके पर कहा कि ‘‘सेव द चिल्ड्रन की विशेषज्ञता के साथ सहभागिता में अमेरिकी दूतावास को उम्मीद है कि इससे पूरे भारत में लिंग आधारित हिंसा और महिला सशक्तिकरण के लिए काफी बड़े स्तर पर प्रयासों को विस्तार दिया जा सकेगा। कैरावैनों को गांव-गांव में भेजे जाने से इस दिशा में लोगों का समर्थन जुटाया जा सकेगा और जागरूकता भी बढ़ेगी।’’
इस मौके पर आयोजित पैनल डिस्कशन के दौरान सरकार के प्रतिनिधियों ने अपना दृष्टिकोण सांझा करते हुए कहा कि ऐसे कई उपाय उठाए जा रहे हैं जिससे राज्य में लिंग आधारित भेदभाव और हिस्सा को कम किया जाएगा। श्री सुकेश कालिया, चेयरपर्सन, पीएससीपीसीआर ने कहा कि ‘‘बच्चों को अधिकारों को तब तक सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है जब तक हम उनमें लिंग के आधार पर भेदभाव करना बंद नहीं करेंगे। एक तरफ सरकार सभी बच्चों की कुशलता को सुनिश्चित कर रही है, वहीं हमें मां-बाप, शिक्षकों और समाज एवं हमारे नेताओं से भी सहयोग की जरूरत है ताकि हम लिंग आधारित भेदभावों को जड़ों से ही दूर कर सकें। ’’
श्रीमति परमजीत कौर लांडरां, चेयरपर्सन, पीएससीडब्ल्यू ने कहा कि ‘‘आयोग लगातार राज्य की महिलाओं तक पहुंच रहा है ताकि उन्हें भेदभाव और हिंसा का शिकार होने से बचाया जा सके और उनकी हर संभव मदद की जा सके। महिलाओं की सुरक्षा संबंधी कानूनों और नियमों के बारे में जागरूकता का स्तर बढ़ाकर उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘सबसे अधिक ध्यान छोटी बच्चियों, विशेषकर भिखारियों पर देने की जरूरत है और घरों में काम करने वाली लड़कियों की मदद की जरूरत है जो कि सबसे अधिक घरेलू हिंसा का शिकार बनती हैं।’’
श्री सुमेर सिंह गुर्जर, सचिव, पंजाब राज्य बाल अधिकार सुरक्षा आयोग ने कहा कि जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है और उन्होंने ये खुद भी महसूस किया है कि कैसे लोगों को संवेदनशील बना कर राज्य में इस संबंध में हालात को बदला जा सकता है।
सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों और सेव द चिल्ड्रन और अन्य प्रतिभागी संगठनों के प्रतिनिधियों ने सरकारी संगठनों और नागरिक समाज के साथ विचार-विमर्श कर इस संबंध में और काम करने के लिए भी रणनीति तय की ताकि राज्य में लिंग आधारित भेदभाव को अच्छे से निपटा जा सके। इस संबंध में कुशलता और प्रभावी परिणामों के साथ काम किया जा सके और दर्शकों पुरानी इस सोच को समाप्त किया जा सके।
सेव द चिल्ड्रन
सेव द चिल्ड्रन, भारत के 20 राज्यों में कार्यरत है और ये मुख्य तौर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और बच्चों के लिए मानवीय और डीआरआर जरूरतों से जुड़े मुद्दों को समाधान प्रदान कर रहा है। संगठन, विशेषकर उन बच्चों की मदद करता है जो कि सुविधाओं से वंचित हैं और वे समाज में हाशिए पर हैं।
सेव द चिल्ड्रन ने पंजाब राज्य के मुक्तसर, बठिंडा, मानसा और फाजिल्का जिलों के 550 गांवों में बाल अधिकारों को मजबूत करने के लिए इस प्रोजेक्ट को शुरू किया है। हम समुदायिक समूहों को बाल अधिकारों के उल्लंघन से दूर ले जाते हुए बच्चों की सुरक्षा की तरफ लेकर जाएंगे और इस काम में विभिन्न संबंधित सरकारी विभागों की भी मदद ली जाएगी।
मोबाइल कैरावैन: परिचय
मोबाइल कैरावैन, बीते दो सालों से चलाई जा रही हैं और ये करीब 3 लाख कम्युनिटी सदस्यों तक पहले ही पहुंच चुकी हैं। कैरावैनों के माध्यम से समुदायों को बाल अधिकारों के बारे में बताया जाएगा और बच्चों को बुरे व्यवहार, नजरअंदाज, हिंसा और शोषण से सुरक्षित रखने के उपायों  के बारे में जानकारी दी जाएगी।
इस साल कैरावैनों में बच्चों को उनके लिंग के आधार पर भेदभाव की बजाए समान बाल अधिकार प्रदान करने का संदेश ‘पहचान अलग, पर अधिकार एक’ दिया जाएगा। इस साल अभियान को पंजाब से आगे भी प्रसारित किया जाएगा और ये हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक भी पहुंचेगा और जोरशोर से इस संदेश को प्रसारित करेगा।
इस अभियान के तहत बच्चों के मां-बाप और सामुदायिक सदस्यों को अपने लडक़े और लड़कियों के साथ समानता का व्यवहार करते हुए समान अवसर प्रदान करने चाहिए।

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