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लोगों में अपने अपने धर्म के प्रति श्रद्धा का होना स्वभाविक सी बात है। हिन्दू पूजा अर्चना के लिए मंदिर में, सिख गुरुद्वारे में, मुस्लिम मस्जिद में ओर ईसाई गिरजाघरों में जाते हैं। यह सभी स्थान पवित्र स्थान कहलाते हैं और यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं को मानसिक शांति प्राप्त होती है। इन धार्मिक पूजा स्थलों पर भगतों का दिन रात तांता लगा रहता है और यहां आने वाला हर श्रद्धालु किसी ना किसी मनोकामना की पूर्ति की लिए अपने अपने आराध्य की उपासना करता है ताकि उसकी इच्छा पूरी हो सके।
मंदिरों ओर गुरद्वारों में श्रद्धालु भगत कई तरह की भेंटें अर्पण करते हैं जिससे वह भगवान को खुश कर सकें।हज़ारों टन फूल भारत के मंदिरों में रोज़ चढ़ाये जाते हैं। कई लोगों ने फूलों के बाग लगा रखे हैं और उन्होंने अपनी कमाई का साधन धार्मिक स्थलों पर फूल बेचने के धंदे से ही सरोकार कर रखा है। खुले फूल या फूलों की मालाओं से ही भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। कितने रंगों के, कितने किस्मों के फूलों ओर मालाओं को मंदिरों के परिसर के अंदर दुकानों में या मंदिरों के बाहर बनी दुकानों में बेचा जाता है जहां लोग अपनी इच्छानुसार फूल या फूलों की मालाएं खरीद सकते हैं।लेकिन बड़े दुःख की बात है की मंदिरों में भी कई लोग पवित्र मन से नहीं आते वो मूर्तियों के ऊपर फूल तो चढ़ाते हैं पर खुद खरीद कर नहीं अपितु लोगों के घरों से या बगीचों से चोरी कर के चढ़ाते हैं यह उनकी एक शर्मनाक करतूत है।
ऐसे लोगों को ये सोचना चाहिए की उनके द्वारा पूजा को कैसे ठीक कहा जा सकता जिसका आधार ही चोरी पर टिका हो। एक तो ये पाप करते हैं कि किसी ने अपने घर की खूबसूरती के लिए अपने छोटे से या बढ़े बरामदे में कुछ फ़ूलों के पौधे लगा रखे हैं और जब उन पौधों पर फूल लगते हैं तो यह उन्हें चोरी से तोड़ कर ले जाते हैं। घर के लोग जब क्यारियों या गमलों से अपने फूलों को ग़ायब पाते हैं तो सोचिए कि वह फूल चोरी करने वाले को दुआ देंगे या बद्दुआ। इसी तरह जब माली अपने बगीचे से फ़ूलों को चोरी हुआ पाता है तो उसकी हालत ऐसे होती है जैसे किसीने उसका बच्चा छीन लिया हो। लेकिन इन फूल चोरों को इतनी समझ तो होनी चाहिए कि भगवान को खुश करने के लिए दिखावे की नहीं, चोरी के फूलों की नहीं लेकिन निर्मल मन की आवश्यकता है जिससे वो पर्सन होते हैं। यह चोरी से फूल चढ़ाने वाले कोई निर्धन वर्ग के लोग नही बल्लिक़ अच्छे घरों के लोग हैं और ये बड़े आराम से फूल खरीद कर चढ़ा सकते हैं लेकिन ये खुद फूल खरीदने से ज़्यादा लोगों के घरों में से तोड़ना अपनी शान समझते हैं और यहां ये कहना गलत ना होगा कि ऐसे फूलों को तोड़ कर मंदिर में चढ़ाने के काम में औरतें सबसे आगे हैं।
मंदिरों में से लोगों की जूता चोरी होंने की कई घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन इसकी पूरी तरह से रोकथाम करना आवश्यक है।प्रायः ऐसी घटनाएं देखने में आती है जब कुछ लोग अपने झंझटों से छुटकारा पाने के लिए पूजा स्थलों पर जाते है, पूजा अर्चना करते हैं और जब पूजा करने के बाद मंदिर से बाहर आते हैं तो अपने जूता/चप्पल ग़ायब पाते हैं तो उनकी समझ में आता है कि आये तो थे गुनाह बख्शवाने लेकिन भगवान को यह ठीक नहीं लगा कि उसके दर पर फरियादी जूते पहन कर आये और ऐसा सोच कर वो अपनी तस्सली कर लेते हैं। जूता चोरी की घटनाएं ज़्यादातर उन पूजा स्थलों पर होती जहां जूतों को रखने के लिए कोई कर्मचारी तैनात ना हो। अगर जूतों को रखने के लिए हर पूजा स्थल पर कोई कर्मचारी रखा होगा तो वो आपको जूता रखते के वक्त आपको कोई रसीद के रूप में कोई टोकन देगा जिस पर जूता रखने के स्थान का नम्बर अंकित होगा ताकि जब पूजा के कार्य से निर्वित हो कर आप कर्मचारी को वापिस जूतों का कूपन पकड़ाएंगे तो आपको आपका जूता आसानी से मिल जाएगा।
मंदिर में जब हम अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए जाते हैं तो आवश्यकता है हम सबको की हम पवित्र मन से जाएं।भगवान किसी भेंट का, पैसे का या फ़ूलों का भूखा नहीं है वो तो भूखा है प्यार का ओर आपकी उसके प्रति निष्ठा का। आप खाली हाथ भी जाते हैं, उसके दर पर शीश झुकाते हैं तो वो उसीसे पर्सन है। आपको कोई आवश्यकता नहीं की लोगों को दिखाने के वास्ते मंदिर में रोज़ थैला भर कर फूल ले जाने की ओर अगर ये फूल लोगों के घरों में से या बगीचे से चोरी कर के आप ले जाते हैं तो ऐसे फूलों को समर्पित करने वाले को तो वही मिलेगा जैसा उसने कर्म किया होगा। जब सभी साधन उपलब्ध हैं, मंदिर की दुकानों से आप आराम से फूल खरीद सकते हैं तो फिर आपका ऐसा सोचना की अगर भगवान पर अर्पित करने के लिए फूलों को लोगों के घरों या बगीचों से तोड़ भी लें तो इससे कोई पाप नहीं लगेगा तो आप सौ फीसदी गल्त हैं। चोरी तो चोरी है वो चाहे कैसे भी इरादे से की जाए वह चोरी ही कहलाएगी ओर पाप ही समझी जाएगी।
भगवान भी केवल उसीकी मदद करता है जो अच्छे कर्म करता हो। दुनिया में भगवान केवल एक है उसे चाहे किसी भी नाम से पुकार लीजिये। चाहे राम , चाहे रहीम, चाहे गोबिंद ओर चाहे मसीहा या ओर जो चाहे नाम आप ले सकते हैं और भगवान कभी भी आपको गल्त रास्ते पर चलने की सलाह नहीं देता। वोह तो आपको कहता ही कि मेहनत करो, सत्य का मार्ग अपनाओ, झूठ ना बोलो, चोरी ना करो, सभी धर्मों का आदर करो और आपस में सब प्रेम से रहो। कोई ज़रूरत नहीं दिखावे की ओर झूठे अभिमान की, पर ज़रूरत है तो बस बनना अच्छे इंसान की। अगर पूजा स्थल पर जाना है तो बिना दिखावे के, बिना चोरी के फूलों के, गल्त तरीके से कमाए हुए पैसों से खरीदी हुई भेंटों के बिना ही जाना ओर अपना मन निर्मल रखने की तो आपकी हर इच्छा पूर्ण हो सकती है।
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बृज किशोर भाटिया, चंडीगढ़