इनेलो नेता एसवाईएल पर सीधे केंद्रीय गृह मंत्री से मिलने जाएंगे: अभय चौटाला

सीएम के शिष्टमण्डल का हिस्सा नहीं बनेंगे इनेलो नेता: नेता प्रतिपक्ष

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Photo By Vinay Kumar

चंडीगढ़
23 मार्च 2017

दिव्या आज़ाद
इनेलो नेता एसवाईएल के मुद्दे पर शुक्रवार को अलग से केंद्रीय गृह मंत्री से मिलेंगे और शिष्टमण्डल का हिस्सा बनकर सीएम के साथ केंद्रीय गृह मंत्री के पास नहीं जाएंगे। यह बात इनेलो के वरिष्ठ नेता एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने गुरुवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इनेलो नेता केंद्रीय गृह मंत्री से मिलकर एसवाईएल पर न सिर्फ हरियाणा का पक्ष रखेंगे बल्कि उनसे इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मिलने का समय तय करवाने और एसवाईएल की खुदाई का काम तुरंत किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंपे जाने की मांग करेंगे। इनेलो नेता ने कहा कि सरकार एसवाईएल पर गम्भीर नहीं है और केवल मामले को लटकाने के लिए लीपापोती की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार गम्भीर होती तो एसवाईएल की खुदाई के लिए कोई केंद्रीय एजेंसी तय करवाकर अब तक खुदाई शुरू करवा दी जाती। उन्होंने कहा कि एसवाईएल पर फैसला सर्वोच्च न्यायालय की संविधानिक पीठ का है और इस फैसले को केंद्र व पंजाब सरकार को मानना ही होगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चौधरी देवीलाल की पुण्यतिथि 6 अप्रैल से जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेगी और यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक नहर की खुदाई शुरू नहीं हो जाती।
इनेलो नेताओं ने कहा कि चार महीने पहले 19 नवम्बर को एसवाईएल पर मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और उस बैठक में यह तय हुआ था कि प्रदेश हित में सभी दल सीएम के नेतृत्व में एसवाईएल के मुद्दे पर प्रदेश का पक्ष रखने के लिए राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से मिलेंगे। इस बारे में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था। बैठक के एक हफ्ते बाद ही राष्ट्रपति से मिलने का समय मिल गया और हरियाणा के सभी दल एसवाईएल पर राष्ट्रपति के समक्ष प्रदेश का पक्ष रखकर आए थे जबकि चार महीने से भी तीन दिन ज्यादा गुजर जाने के बाद भी अभी तक प्रधानमंत्री ने हरियाणा के सीएम को मिलने का समय नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जिस मुख्यमंत्री ने 19 मार्च को शपथ ली उसे 21 मार्च को पीएम से मिलने का समय मिल गया और 16 मार्च को जो मुख्यमंत्री बने उन्हें 22 मार्च को पीएम से मुलाकात का समय मिल गया। हरियाणा के मुख्यमंत्री को पीएम द्वारा मिलने का समय न देना प्रदेश की अनदेखी करना है। उन्होंने यह भी संदेह जताया कि हो सकता है सीएम मनोहर लाल ने पीएम से मिलने का समय ही न मांगा हो। अन्यथा जब अन्य मुख्यमंत्रियों को पीएम से मिलने का समय मिल जाता है तो हरियाणा के मुख्यमंत्री को समय क्यों नहीं मिल पाया?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एसवाईएल पर इनेलो बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार है और इस बारे इनेलो द्वारा शुरू किए गए संघर्ष के तहत इनेलो कार्यकर्ताओं ने 23 फरवरी को शंभू बार्डर पर गिरफ्तारियां दी और केंद्र पर दबाव बनाने के लिए न सिर्फ 15 मार्च को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया बल्कि संसद का घेराव करके एक नया इतिहास रचने का भी काम किया। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश के सभी राजनेताओं व दलों को 23 फरवरी व 15 मार्च के संघर्ष का न्यौता दिया था ताकि केंद्र पर दबाव बनाया जा सके। इनेलो कार्यकर्ताओं ने तमाम बैरिकेट्स तोडक़र संसद के समक्ष पहुंचकर पूरे देश को यह अहसास करवाया कि हरियाणा के साथ एसवाईएल के मुद्दे पर अन्याय हो रहा है और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला भी लागू नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि संसद घेराव में महिलाओं सहित इनेलो के अनेक कार्यकर्ता घायल हुए जो आज भी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। 
इनेलो नेता ने कहा कि एक तरफ सीएम कहते हैं कि एसवाईएल का मामला अदालत में लंबित है तो फिर वे गृह मंत्री से मिलने क्यों जा रहे हैं और राष्ट्रपति से क्यों मिले व प्रधानमंत्री को मिलने के लिए क्यों चि_ी लिखी? इनेलो नेता ने कहा कि जो लोग एसवाईएल पर हमारा मजाक उड़ाते थे कि कस्सी फावड़े से नहर नहीं खुदा करती और मामला अदालत में लंबित होने की दुहाई देते थे वे प्रधानमंत्री या केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री से मिलने की बजाय गृह मंत्री से मिलने क्यूं जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि गृह मंत्री से तो कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चर्चा के लिए मिला जाता है। इनेलो नेता ने कहा कि पंजाब के मौजूदा मुख्यमंंत्री शपथ ग्रहण से पहले कहा था कि पंजाब का एक बूंद पानी भी किसी को नहीं देंगे लेकिन मुख्यमंत्री ने इस बारे उनका विरोध करते हुए केंद्र को कोई चि_ी तक नहीं लिखी। इनेलो नेता ने कहा कि उनकी पार्टी पहले ही यह तय कर चुकी है कि हम सीएम हरियाणा के साथ नहीं जाएंगे क्योंकि सरकार इस मामले में गम्भीर नहीं है। ऐसे में इनेलो नेता नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला व प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा सीएम के शिष्टमण्डल का हिस्सा बनने की बजाय सीधे केंद्रीय गृह मंत्री के पास जाएंगे और  नहर की खुदाई शुरू करवाने बारे प्रदेश का पक्ष रखेंगे और पीएम से मिलने का समय तय करवाने का भी आग्रह करेंगे। उन्होंने कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भी आलोचना करते हुए कहा कि वे एक तरफ तो कैप्टन अमरेंदर सिंह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होकर उन्हें बधाई देते हैं जो बार-बार कह रहे हैं कि एक बूंद पानी भी हरियाणा को नहीं दूंगा और वहीं दूसरी ओर आए दिन अखबारी बयान दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनेलो नहर की खुदाई का श्रेय नहीं लेना चाहती और अगर मौजूदा सरकार नहर खुदाई करवाकर प्रदेश का पानी लाने का काम करेगी तो सारा श्रेय उन्हें देने के साथ-साथ उनका माला डालकर स्वागत करने में भी हम पीछे नहीं  हटेंगे। पत्रकार सम्मेलन में इनेलो नेता आरएस चौधरी, बीडी ढालिया, बलदेव बाल्मीकि, राम सिंह बराड़, एनएस मल्हान, प्रवीन आत्रेय व एडवोकेट रविंद्र ढुल भी मौजूद थे।
जाट आरक्षण आंदोलन पर मुख्यमंत्री की बयानबाजी शर्मनाक
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर धरने पर बैठे जाट आरक्षण आंदोलनकारियों से बातचीत के लिए शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के नेतृत्व वाली कमेटी गठित करके उन्हें बातचीत के लिए भेजते हैं जिनमें तीन मंत्री व मुख्य सचिव के अलावा गृह सचिव भी शामिल थे और दूसरी तरफ सीएम यह कह देते हंै कि मुझे कोई जानकारी नहीं है कि आंदोलनकारियों के साथ उन्हें कोई संयुक्त पत्रकार सम्मेलन करना है। उन्होंने कहा कि इससे पहले रामबिलास शर्मा कमेटी आंदोलनकारियों के साथ मामला सुलझाकर यह ऐलान करती है कि कल इस बारे एक संयुक्त पत्रकार सम्मेलन में विधिवत घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि अब जब मांगें स्वीकार की गई हैं, ये वही सब मांगें हैं जो पिछले साल 19 फरवरी को मान ली गई थी लेकिन उन्हें एक साल तक लागू न करके लोगों को जानबूझकर धरने पर बैठने को मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को आपस में लड़वाने और उनका भाईचारा तोडऩा चाहती थी लेकिन धरने पर बैठने वाले किसान इस बात को लेकर बधाई के पात्र हंै कि उन्होंने संयम व सहनशीलता बनाए रखी और फिर से आपसी भाईचारा खराब करने के प्रयासों को सफल नहीं होने दिया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आंदोलनकारियों के साथ जो समझौता किया है उसको लागू करने में सरकार की नीयत पर अभी भी संदेह है और उन्हें अंदेशा है कि कहीं सरकार फिर से लोगों को धरने पर बैठने के लिए मजबूर न कर दे।

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