चंडीगढ़

30 अप्रैल 2017

दिव्या आज़ाद

हरियाणा के राज्यपाल प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे पहचान, प्रजातंत्र, प्रगतिशीलता, पवित्रता, परिश्रम, प्रमाणिकता तथा प्रार्थना सभी सात गुणों को अपने जीवन में आत्मसात करें। जीवन के क्षेत्र में ईमानदार रहकर काम की पवित्रता, एकरूपता व प्रमाणिकता को बनाए रखते हुए महाविद्यालय के नाम व गौरव को मद्देनजर रखते हुए सनातन धर्म की शिक्षाओं की अलग पहचान बनाएं। भीड़ में रहकर भीड़ से अलग पहचान बनाएं, जो दूसरों के लिए अनुकरणीय हो।

प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी आज जिला कैथल के राधा कृष्ण सनातन धर्म महाविद्यालय (आरकेएसडी) के वार्षिक दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण दे रहे थे। उन्होंने दीक्षांत समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से किया तथा विधिवत रूप से दीक्षांत समारोह के शुभारंभ की घोषणा की।
उन्होंने विभिन्न विषयों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर लगभग 250 विद्यार्थियों को एक-एक करके डिग्रियां वितरित की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि यह महाविद्यालय हरियाणा के अस्तित्व में आने से भी पूर्व का है, जिसकी स्थापना सेठ माखन लाल ने 1954 में की थी। जिस हरियाणा प्रदेश को हरि की भूमि के नाम से जाना जाता है, जहां धर्म क्षेत्र कुरूक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण ने गीता का अमर संदेश दिया। उसी हरियाणा की भूमि में प्रदेश की प्रगति के साथ-साथ इस महाविद्यालय ने भी उल्लेखनीय प्रगति की है। हरियाणा को पूरे देश में हर क्षेत्र में उन्नति एवं प्रगति के लिए जाना जाता है तथा कुरूक्षेत्र में दिए गए भगवान श्रीकृष्ण के पवित्र संदेश के कारण विश्व में हरियाणा की अलग पहचान है। इसलिए प्रदेश सरकार ने 2016 में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती कुरूक्षेत्र में आयोजित की। इस जयंती में न केवल भारत देश के बल्कि विदेशों से भी भक्तजन आए। बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में प्रथम योगदान परिवार का है, उसके बाद महाविद्यालय तथा समाज का योगदान होता है।
राज्यपाल ने कहा कि मदन मोहन मालवीय ने 1916 में कांशी में हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की ताकि युवाओं को ऐसी शिक्षा दी जाए, जिससे देश में संस्कार और संस्कृति से जुडक़र युवा वर्ग में नई चेतना का संचार हो सके। उन्होंने कहा कि हमारा देश वर्षों तक परतंत्र रहा तथा उस समय में विदेशी शासकों ने शिक्षा के माध्यम से हमारी प्राचीन संस्कृति व पहचान तथा लोगों के स्वभाव में विद्यमान मानवीय गुणों को समाप्त करने का षडय़ंत्र रचा तथा ऐसी शिक्षा दी, जिससे युवा संस्कृति से विमुख हों। उन्होंने सनातन धर्म के बारे में कहा कि यह एक शास्वत धर्म है, जिससे मनुष्य में मानवीय गुणों और संस्कृति का विकास होता है। उन्होंने महाविद्यालय द्वारा सनातन धर्म की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने के लिए महाविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि आज प्रजातंत्र का युग है तथा हमारी रगो में प्रजातंत्र हो तथा जीओ और जीने दो के आदर्श पर चलते हुए पीछे मुडक़र न देखें। प्रजातंत्र में सभी को अपने विचार अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता है तथा हमें दूसरों की बातों का हमेशा आदर करना चाहिए। युवा हमेशा आगे रहने की सोचें तथा कभी भी परिश्रम से मत भागें तथा महाविद्यालय की पहचान को अलग से बनाए रखें।
प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने स्वामी विवेकानंद की पंक्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि उठो, जागो रूकिए मत जब तक संकल्प पूरा नही होता। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को भी अपने जीवन के क्षेत्र में निरंतर मेहनत और प्रयास करते रहना चाहिए तथा लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोई भी कोर कसर बाकी नही छोडऩी चाहिए। कोशिश व्यक्ति की पहचान बनाती है, इसलिए कभी भी उदास और पराजित न होते हुए बुलंदियों को छूने का सतत प्रयास करें। उन्होंने विद्यार्थियों को डिग्रियां वितरित करने के उपरांत दीक्षांत समारोह के समापन की विधिवत घोषणा की। महाविद्यालय द्वारा राज्यपाल को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
प्रधानाचार्य श्री ओपी गर्ग ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की उपलब्धियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने खेल व अन्य गतिविधियों में शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं तथा विश्वविद्यालय में एनसीसी की दो यूनिट गठित की है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अनुशासन के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती है। उप प्रधानाचार्य डा. कृष्ण लाल ने राज्यपाल तथा अन्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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